नौलखा मंदिर, बक्सर, बिहार ( Naulakha Mandir, Buxar, Bihar)
करीब पांच फुट ऊंचे आधार वाले चबूतरे पर बना यह मंदिर एक एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस मंदिर को निर्माण की दृष्टि से तीन भागों में (गोपुरम, यज्ञमंडप और गर्भगृह) में बांट सकते हैं। लगभग 25 फुट ऊंचे इस मंदिर के शिखर को यक्षों, गंधर्वों और अन्य कलाकृतियों से संवारा गया है।
मंदिर के ठीक सामने 30 फुट ऊंचा स्वर्णिम आभा लिए कमलयुक्त आधार पर वेलनाकार गरुण ध्वज स्तंभ स्थापित है। स्तंभ के आधार के चारों तरफ वैष्णव तिलक आदि अंकित हैं। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति गरुण ध्वज स्तंभ की परिक्रमा कर लेता है उसे भी उतना ही पुण्य मिलता है जितना कि मंदिर में स्थापित भगवान के विग्रह की पूजा से।
दक्षिण भारतीय परंपरा से होती है भगवान विष्णु की पूजा
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मुख्य मंदिर के बाहरी दीवारों पर विभिन्न मुद्राओं में अनगिनत देवी देवताओं की मूर्तियां, गर्भगृह के प्रवेशद्वार पर जय-विजय नामक द्वारपालों की मूर्तियां स्थापित हैं।
चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी का लगता है भोग
मंदिर में होने वाले राग-भोग का विधान भी पूर्णरूपेण दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होता है। प्रातकाल में भगवान बैकुंठनाथ को दूध और मिश्री का भोग लगता है। प्रातकाल 7:30 से 8 बजे पूजा के बाद चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु को राजभोग के समय सुबह 11 बजे चावल-दाल और सब्जियों का भोग लगाया जाता है। सांयकालीन भोग में कुछ बदलाव किया जाता है।
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