बृजनिधि मंदिर, चांदनी चौक, जयपुर Braj Nidhi Temple

 बृजनिधि मंदिर का मंदिर, चांदनी चौक, जयपुर ( Braj Nidhi Temple, Chandni Chowk, Jaipur, Rajasthan)



पिंकसिटी जयपुर (Pink City Jaipur ) में जंतर-मंतर (Jantar-Mantar) के नजदीक कई दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक मंदिर है। इन्हीं में एक एक प्राचीन मंदिर है बृजनिधिजी का मंदिर। यह मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन आता है। यहां पर कई कार्यक्रम आयोजित होते रहते है।


जयपुर शहर में परकोटा क्षेत्र के चांदनी चौक में स्थित है भगवान बृजनिधिजी का प्राचीन मंदिर। यहां भगवान श्रीकृष्णजी व राधाजी की भव्य एवं अलौकिक मूर्तियां विराजमान हैं। यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से बहुत ही दर्शनीय है जो बाहर व अंदर से एक विशाल व भव्य हवेली जैसा दिखता है। 

इस मंदिर का निर्माण जयपुर महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने संवत 1849 में करवाया था। मंदिर में मूर्ति की स्थापना वैशाख शुक्ला अष्टमी शुक्रवार संवत 1849 में करवाई गई थी। वर्णित के संबंध में मंदिर के बाहरी भाग में दीवार पर शिलालेख लगा है। मंदिर श्री कृष्ण भगवान की काले पाषाण की एवं राधिकाजी की धातु की भव्य एवं अलौकिक मूर्ति विराजमान है। 


मंदिर में सेवा पूजा वल्लभ कुल एवं वैष्णव सम्प्रदाय अनुसार मिली-जुली पद्धति से होती है। मंदिर के स्थापना के संबंध में एक विषय घटना जुड़ी हुई है कि महाराजा सवाई प्रतापसिंह जी गोविन्द देव के अन्नय भक्त थे। गोविन्ददेवजी उन्हें साक्षात दर्शन देते एवं बात करते थे। अवधनवाब वाजिद अली शाह जिसने अवध के वाईसराय का वध कर दिया था। ब्रिटीश सरकार का घोषित शत्रु को जब हिन्दुस्तान में अन्यत्र शरण नहीं मिली तब वह जयुपर आया। 
महाराजा ने उसे अपने यहां शरण दी तथा गोविन्ददेवजी के साक्षी में महाराजा ने यह शपथ ली कि अवधनवाब वाजिद अली शाह का रेजा को नहीं देंगे, परन्तु अंग्रेजों एवं जयपुर रियासत के प्रधानमंत्री दौलतराम के दबाव के अंतर्गत अवध नवाब को लिखित समझौते एवं शर्तों के आधार पर अंग्रेजों को सौंप दिया गया चूंकि महाराज प्रतापसिंह ने श्री गोविन्ददेवजी की शपथ को झूठलादी इस कारण कहावत अनुसार गोविन्ददेवजी ने महाराजा को साक्षात दर्शन देना बन्द कर दिया। 
महाराजा इससे बई व्यथित हुए एवं अन्नू, जल त्याग दिया। इस पर श्री गोविन्ददेवजी ने महाराज को स्वप्न में दर्शन दिया कि श्री बृजनिधी का महलों में नया मंदिर स्थापित किया जावें। यह मूर्ति तुम्हें स्वप्न में दर्शन देती रहेगी इसी अनुसार यह मंदिर स्थापित किया गया। महाराजा सवाई प्रतापसिंह प्रतिदिन भगवान बृजनिधि के राजभोग की आरती के समय दर्शन करत द एवं एक "पद्य की प्रतिदिन रचना कर श्रीजी को सुनाते थे तथा राजभोग का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात ही भोजन करते थे। 
महाराज प्रतापसिंह के रचित बृजनिधि ग्रंथावली एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। मंदिर का भव्य भवन वास्तुकला की दृष्टि से अत्यन्त कलात्मक एवं दर्शनीय है । मंदिर का प्रबंध व नियंत्रण देवस्थान के अन्तगर्त है। राजकीय कर्मचारी मंदिर की सेवा-पूजा करते हैं। राजकोष से मंदिर में नवेय आरोगण लगाया जाता है।

मंदिर में दैनिक सेवा पूजा नियत विधान के अनुसार होती है। जन्माष्टमी, राधाष्टमी, अन्न पर्वों पर विशेष आयोजन होते हैं। जलयात्रा, फागोत्सव आदि कार्यक्रम भी होते हैं। मंदिर सुबह 06:00 बजे से 10:45 बजे तक और फिर शाम 06:00 बजे से रात 08:15 बजे तक खुला रहता है।



कैसे पहुंचे

निकटतम हवाई अड्डा: सांगानेर, जयपुर : 16 किमी 
रेलवे स्टेशन: जयपुर :3 किमी 
सिंधी कैम्प बस स्टैंड :2.5 किमी  


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