बैकुंठनाथजी मंदिर, सोडाला , जयपुर, राजस्थान (Mandir shree Baikunth Nath ji Ajmer Rd, Ramnagar Extension, Sodala, Jaipur, Rajasthan)

बैकुंठनाथजी मंदिर, सोडाला , जयपुर, राजस्थान  (Mandir shree Baikunth Nath ji Ajmer Road, Ramnagar Extension, Sodala, Jaipur, Rajasthan)  



बैकुंठनाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर पिंकसिटी जयपुर में है। यह प्रसिद्ध मंदिर सोडाला में मेट्रो स्टेशन के पास है। इस मंदिर का निर्माण करीब 155 साल कराया गया था। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह मंदिर रावल फतेहसिंह की याद में बनवाया गया था। बैकुंठनाथ जी मंदिर   (Baikunthanathji Temple)  में चारभुजा के रूप में भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी विराजमनान है। 

कुछ साल पहले तक मंदिर के भवन के चारों ओर काफी खाली जगह थी। मेट्रो स्टेशन बनने के बाद इसका परिसर काफी छोटा हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार के आसपास अतिक्रमण और बस स्टैंड होने से भक्तों को परेशानी होती है। 




सोडाला चौराहे पर मंदिर में प्रवेश करते ही खुला परिसर है। सामने बड़ा सा चौक है। यहां दीवारों पर देवी—देवताओं की पेंटिंग्स बनी है। इसके बाद अंदर हॉल है जहां सामने गर्भगृह में भगवान विष्णु और लक्ष्मी की भव्य प्रतिमा विराजमान है। यहां हॉल की दीवरों पर भी आकर्षक पैंटिंग बनी हुई है। 

बैकुंठनाथ जी के मंदिर में कई दर्शनार्थी ऐसे हैं जो नियमित रूप से यहां दर्शन के लिए आते है। कई भक्त ऐसे है जो महीने में एक बार यहां आने का संकल्प लेकर दर्शन करते है। एकादशी, पूर्णिमा को यहां दर्शनार्थियों की संख्या ज्यादा रहती है। कार्तिक मास नहाने वाले दर्शनार्थी भी यहां बड़ी संख्या में पहुंचते है। 

बैकुंठ चतुर्दशी को लगता है मेला 

कार्तिक में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी बैकुंठनाथजी मंदिर में मेला आयोजित होता है। बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है। बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा एक साथ की जाती है। मान्यता है कि  इस दिन भगवान शंकर विष्णुजी को सृष्टि का कार्यभार विष्णु भगवान को सौंपते हैं। दरअसल इससे पहले चार महीने तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में सोते हैं। तब इन चार महीनों में सृष्टि का संचालन शिवजी के हाथों में रहता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु जागते हैं और बैकुंठ चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव सृष्टि का भार फिर से विष्णु को सौंप देते हैं। इसके अलावा एक अन्य मान्यता है कि जो भी बैकुंठ चतुर्दशी के दिन देह त्यागता है उसको स्वर्ग में जगह प्राप्त होती है। बैकुंठ चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और विष्णुजी की एक साथ पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को कमल का फूल और भगवान शिव को जल चढ़ाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कैसे पहुंचे

जयपुर को बैकुंठनाथ मंदिर अजमेर रोड, सोडाला चौराहे पर स्थित है। यहां आवागमन के साधन आसानी से उपलब्ध है। मेट्रो ट्रेन से भी यहां पहुंचा जा सकता है। बस स्टैंड से यहां की दूरी करीब चार किमी और रेलवे स्टेशन से दूरी साढ़े तीन किमी है। एयरपोर्ट से यहां की दूरी लगभग 14 किमी है। 

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