रामराजा मंदिर, ओरछा, मध्यप्रदेश Ram Raja Temple, Orchha, Madhya Pradesh

रामराजा मंदिर, ओरछा, मध्यप्रदेश: यहां राम की राजा के रूप में पूजा होती है 


ओरछा (Orchha) भारत के मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। ओरछा में दुनिया का इकलौता एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान श्रीराम की पूजा राजा के रुप में होती है। यह प्रसिद्ध मंदिर है रामराजा मंदिर। 
रामराजा मंदिर में भगवान राम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। यहां किसी भी वीआईपी को गार्ड ऑफ ऑनर नही दिया जाता है। मान्यता है कि राजाराम दिन में ओरछा में रहते हैं और रात्रि विश्राम को अयोध्या चले जाते हैं। ओरछा में विराजमान पाताली हनुमान इस काम में भूमिका निभाते हैं। रात में हनुमान जी पाताल के रास्ते राजाराम को लेकर अयोध्या जाते हैं और सुबह वापस ओरछा आ जाते है। 

लोगों की आस्था
घर में शादी हो या और कोई मांगलिक कार्यक्रम, ओरछा और उसके आसपास के लोग पहला निमंत्रण रामराजा सरकार को देते है। यहां कई परिवार विवाह के बाद नववधू का गृहप्रवेश भी सरकार के दर्शन से पहले नहीं कराते है। सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए मंदिर में छापे-हल्दी लगे हाथ की छाप-लगाते हैं। 



अयोध्या से ओरछा का संबंध

एक दिन ओरछा नरेश मधुकरशाह बुंदेला ने अपनी पत्नी गणेशकुंवर राजे से कृष्ण उपासना के इरादे से वृंदावन चलने को कहा। लेकिन रानी राम भक्त थीं। उन्होंने वृंदावन जाने से मना कर दिया। क्रोध में आकर राजा ने उनसे यह कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपने राम को ओरछा ले आओ। रानी ने अयोध्या पहुंचकर सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटी बनाकर साधना आरंभ की। इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधना रत थे। संत से आशीर्वाद पाकर रानी की आराधना दृढ से दृढतर होती गई। लेकिन रानी को कई महीनों तक रामराजा के दर्शन नहीं हुए। अंतत: वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पडी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें रामराजा के दर्शन हुए। रानी ने उन्हें अपना मंतव्य बताया। रामराजा ने ओरछा चलना स्वीकार किया

किन्तु उन्होंने तीन शर्त रखीं— पहली, यह यात्रा पैदल होगी, दूसरी- यात्रा केवल पुष्प नक्षत्र में होगी, तीसरी- रामराजा की मूर्ति जिस जगह रखी जाएगी वहां से पुन:नहीं उठेगी। रानी ने राजा को संदेश भेजा कि वो रामराजा को लेकर ओरछा आ रहीं हैं। राजा मधुकरशाह बुंदेला ने रामराजा के विग्रह को स्थापित करने के लिए अरबों की लागत से चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराया। जब रानी ओरछा पहुंची तो उन्होंने यह मूर्ति अपने महल में रख दी। यह निश्चित हुआ कि शुभ मुर्हूत में मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में रखकर इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन राम के इस विग्रह ने चतुर्भुज जाने से मना कर दिया। तभी से रामराज यहां विराजमान है। यह भी एक संयोग है कि जिस संवत 1631 को रामराजा का ओरछा में आगमन हुआ, उसी दिन रामचरित मानस का लेखन भी पूर्ण हुआ। जो मूर्ति ओरछा में विद्यमान है उसके बारे में बताया जाता है कि जब राम वनवास जा रहे थे तो उन्होंने अपनी एक बाल मूर्ति मां कौशल्या को दी थी। मां कौशल्या उसी को बाल भोग लगाया करती थीं। जब राम अयोध्या लौटे तो कौशल्या ने यह मूर्ति सरयू नदी में विसर्जित कर दी। यही मूर्ति गणेशकुंवर राजे को सरयू की मझधार में मिली थी। 
यहां राम ओरछाधीश के रूप में मान्य हैं। रामराजा मंदिर के चारों तरफ हनुमान जी के मंदिर हैं। छडदारी हनुमान, बजरिया के हनुमान, लंका हनुमान के मंदिर एक सुरक्षा चक्र के रूप में चारों तरफ हैं। एक मान्यता यह भी है कि भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक ओरछा में हुआ था। इसलिए वे यहां राजा के रूप में पूजते हैं। 


Ram Raja Temple on Google map 




ओरछा के रामराजा मंदिर ऐसे पहुंचे How To reach Ram Raja Temple is a temple in Orchha, Madhya Pradesh

ओरछा झांसी से मात्र 15 किमी. की दूरी पर है। ओरछा झांसी-खजुराहो मार्ग पर स्थित है। दिल्ली, ललितपुर ,आगरा, भोपाल, ग्वालियर और वाराणसी समेत कई शहरों से ओरछा के लिए नियमित बसें चलती हैं।
झांसी ओरछा का नजदीकी रेल मुख्यालय है। यहां से ओरछा की दूरी करीब 15 किमी है। दिल्ली, ललितपुर, आगरा, भोपाल, मुम्बई, ग्वालियर आदि प्रमुख शहरों से झांसी के लिए अनेक ट्रेनें हैं। वैसे ओरछा तक भी रेलवे लाइन है जहां पैसेन्जर ट्रैन से पहुंचा जा सकता है। ओरछा का नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो है जो 163 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, वाराणसी और आगरा से नियमित फ्लाइटों से जुड़ा है।

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