बिजासन या बीजासन माता का मंदिर राजस्थान के बूंदी जिले के इंदरगढ़ में स्थित है। बिजासन माता मंदिर (Bijasan Mata Mandir, Bundi Rajasthan)। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में बिजासन माता की मान्यता है। पुत्र प्राप्ति की मनोकामना लिए भक्त यहां हाजिरी लगाते है। नवविवाहित दम्पती अपने वैवाहिक जीवन का सुखी बनाने की मनोकामना के साथ विवाह के बाद जात लगाने पहुंचते है।
बूंदी के इस प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल इंदरगढ़ का निर्माण बूंदी के शासक राव शत्रुसाल के छोटे भाई इंद्रसाल ने अपने नाम पर करवाया था। उन्होंने यहां किले, मंदिर आदि बनवाए। इसी क्रम में उन्होंने यहां पहाड़ी पर माता का मंदिर बनवाया।
बिजासन माता के मंदिर की प्रसिद्धि का आलम यह है कि यहां चेत्र और अश्विनी मास के नवरात्रि में मेला लगता है और इस दौरान हजारों भक्त माता के दरबार में पहुंचते है। इस दौरान यहां दूरदराज से पदयात्राएं भी यहां पहुंचती है।
पहाड़ी पर स्थित है बिजासन माता मंदिर (Bijasan Mata Mandir, Bundi)
बिजासन माता मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। करीब 750 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता का मंदिर आता है। ऐसे में यहां गरमी के दिनों में कुछ परेशानी हो सकती है। हालांकि भक्तों की सुविधा के लिए रास्ते में छाया का पूरा इंतजाम है। इन्द्रगढ़ अथवा इंदरगढ़ तहसील मुख्यालय होने के साथ ही ऐतिहासिक महत्व का कस्बा है । कोटा दिल्ली रेलमार्ग पर इन्द्रगढ़ स्टेशन है, जहां से पश्चिम दिशा में लगभग 6- 7 की.मी. पर यह कस्बा बना है। बस द्वारा केशवराय पाटन से लाखेरी होकर इन्द्रगढ़ पहुंचा जा सकता है। जयपुर, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर समेत कई जिलों से बस सेवाएं उपलब्ध है।
बिजासन माता मंदिर की पौराणिक कहानी (Bijasan Mata Ki Katha)
हर मंदिर की स्थापना को लेकर कोई ना कोई पौराणिक कथा प्रचलित रहती है। बिजासन माता मां दुर्गा का रूप है। बताया जाता है कि सदियों पहले कमलनाथ नामक भक्त को मां दुर्गा ने दर्शन दिए थे। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यह मूर्ति राक्षस रक्तबीज के ऊपर विराजमान है। देवी दुर्गा ने रक्तबीज साथ भयंकर लड़ाई लड़ी थी। रक्तबीज एक ऐसा राक्षस था जिसको कई असाधारण वरदान प्राप्त थे। अगर रक्तबीज के खून की एक बूंद जमीन पर गिरती थी तो उससे एक और उसी की शक्ति के बराबर का रक्तबीज पैदा हो जाता था। जिसका परिणाम यह हुआ कि दुनिया में लाखों रक्तबीज दानव पैदा हो गए थे। रक्तबीज को खत्म करने के लिए देवी ने एक उपाय निकाला और उसके खून को धरती पर नहीं गिरने देने का फैसला किया। देवी ने जलती हुई मसालों के साथ राक्षस रक्तबीज को जला दिया और उसके खून को एक कटोरे में इकट्ठा करके पी लिया। देवी ने उतने ही रूप धारण कर लिए जितने कि रक्तबीज पैदा हुए थे। ऐसा करके देवी दुर्गा ने रक्तबीज का खात्मा कर दिया और इसलिए उन्हें बिजासन देवी के रूप में जाना जाने लगा।
बिजासन माता मंदिर के दर्शन का समय (Bijasan Mata Mandir Timing)
बिजासन माता मंदिर सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे खुला रहता हैं। नवरात्रि में यहां मेला आयोजित होता है।
0 comments :
Post a Comment