राजस्थान के नागौर में आपको कई लोक देवियों के स्थान मिलेंगे। ऐसी ही एक लोकप्रिय लोक देवी है गिगाई माता। माता का मंदिर नागौर के इन्दौखा में है और यहां प्रदेश और देश से सभी मतों के श्रद्धालु आते हैं।
वृक्ष की सूखी लकड़ी पर जल छिड़क बनाया हरा पेड़
जानकारी के अनुसार गिगाई मां का जन्म इन्दौखा में बिठू चारण वंश में विक्रम संवत 1730 में आषाढ़ शुक्ल पंचमी को हुआ था। इनकी मां का नाम साम्पू कंवर और पिता का नाम जोगीदास चारण था। इन्हें इंद्र बाईसा व सायर माता भी पूज्य मानती रही हैं। बताया जाता है कि 102 वर्ष की आयु में माता ने अपना शरीर त्यागने से पहले शमी के वृक्ष की सूखी लकड़ी पर जल छिड़क हरा पेड़ बना दिया। तब से उसी वृक्ष को मां का स्वरूप मान पूजा जा रहा है। यह वृक्ष आज भी हरा-भरा है।
गायों की छुड़वा दी थी गिनती
माना जाता है कि जन्म के समय ही गिगाई के माता-पिता को यह विश्वास हो गया था कि उनके घर एक साधारण कन्या का जन्म न होकर एक असाधारण कन्या योगमाया का अवतार हुआ है। उनके दो भाई थे, जिसमें छोटे भाई का नाम रतनसिंह था। माना जाता है कि जब गिगाई सात वर्ष की थीं, तब उन्होंने कर एवं वध के लिए बादशाह की ओर से की जाने वाली गिनती छुड़वा दी थी और चारणों को भी बादशाह के सामने विशेष दर्जा दिलवाया था। दोहा— सैंपत बरसा सात परवाड़ो कीधो प्रथम। हद सिर देतां हाथ बाघ थया जद बाछड़ा॥ चमत्कारों से भरा जीवन
गिगाई मां का जीवन चमत्कारों से भरा रहा है और आज भी लोग दूर—दूर से उनके मंदिर में धौक लगाने के लिए आते हैं।
दर्शन का समय: मंदिर में दर्शन सुबह 6 बजे खुलते हैं और रात 9 बजे बंद हो जाते हैं।
Gigai Mata Temple, Indokha, Nagaur on Google Map
कैसे पहुंचें
इन्दौखा नागौर से 82 किलोमीटर की दूरी पर है। आप इस मंदिर तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।

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