विराट नगर धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में विख्यात है। यह कस्बा अपनी पौराणिक विरासत को आज भी समेटे हुए है। इस कस्बे में स्थित है अंबिका शक्तिपीठ।
विराट नगर को लेकर भ्रांति रहती है। विराट नगर नाम का कस्बा नेपाल में भी है, लेकिन हम यहां बात कर रहे है राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 90 किमी. दूर स्थित विराट नगर की। जयपुर—दिल्ली नेशनल हाइवे से अलवर की तरफ जाते है तो करीब 25 किमी बाद विराट नगर आता है। अरावली की पहाड़ियों के मध्य में बसे इस कस्बे का वर्णन शिव पुराण, महाभारत सहित कई धर्मग्रंथों में मिलता है। महाभारत काल में पाण्डवों तथा द्रौपदी ने अपना अज्ञातवास इसी जगह व्यतीत किया था। जिसके अवशेष यहां आज भी मौजूद है।
पुराणों की ही मानें तो जहां-जहां देवी सती के अंग के टुकड़े वस्त्र और गहने गिरे वहां मां के शक्तिपीठ बन गए। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन है। वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं।
विराट नगर अंबिका शक्तिपीठ के लिए भी प्रसिद्ध है। मां सती के इस जगह बांये पैर की अंगुलियां गिरी थी। इससे इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यहां माता पार्वती अम्बिका के रूप में और भगवान शिव अमृतेश्वर के रूप में पुजते है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क बनी हुई है। जहां निजी साधनों से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन अलवर एवं जयपुर है। विराट नगर में बस स्टैंड है जिसकी कनेक्टिविटी जयपुर, दिल्ली, अलवर, भरतपुर समेत कई शहरों से है। वैसे तो विराट नगर में कम बजट वाली होटल भी है लेकिन, अधिकांश लोग अलवर, जयपुर या बहरोड़ में स्टे करना पसंद करते है।
चेत्र और अश्विनी मास के नवरात्रों में यहां भक्तों की भीड़ रहती है। इसके अतिरिक्त आसपास के जयपुर, अलवर और आसपास के गांवों में भी कई परिवार यहां जात-जडूले के लिए आते है। मान्यता है कि माता के दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती है। बारिश के दौरान यह स्थान हराभरा हो जाता है और यहां पिकनिक मनाने भी बहुत से लोग पहुंचते है। दूसरी खास बात यह है कि इस मंदिर के आसपास अन्य और भी कई धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल जैसे पंचखंड पर्वत, भीम की गुफा, प्रसिद्ध गणेश मंदिर, केशवराय का मंदिर, जैन मंदिर है। पांडूपोल, भृतहरि, तालवृक्ष, नारायणी धाम भी यहां से ज्यादा 60-70 किमी. के दायरे में है।
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