मंदिर का घंटा बजाने के लिए उसे छूने की जरूरत नहीं है। उसके नीचे खड़े हो जाये और हाथ हिलाये। मंदिर का घंटा बज उठेगा।
मंदिर में घंटा बजाना शुभता का प्रतीक है। इसका धार्मिक महत्व है और वैज्ञानिक कारण भी। मंदिर का घंटा बजाने से सकात्मक उर्जा का संचार होता है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए कई मंदिरों में घंटे के ढक दिया गया है। इनमें आप घंटा नहीं बजा सकते। लेकिन, राजस्थान में एक मंदिर ऐसा है जहां घंटा बजाने पर कोई रोक नहीं रहेगी है। सबसे बड़ी बात यह है कि घंटा बजाते समय कोरोना संक्रमण का खतरा बिलकुल नहीं रहेगा।
हम बात कर रहे है राजधानी जयपुर में जगतपुरा अक्षय पात्र परिसर में स्थित श्री कृष्ण बलराम मंदिर की। मंदिर सोमवार यानि 7 सितंबर से श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है। कोविड—19 के असर को देखते हुये 20 मार्च से इस मंदिर को अस्थायी तौर पर बंद किया गया था। यहां पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिये कई अहम कदम उठाये गए है। मंदिर में सेंसर युक्त इलैक्ट्रिक बेल लगाई गई है। इस घंटे की खासियत यह है कि इसे बजाने के लिये छूने की जरुरत नहीं है। जैसे ही भक्त इसके नीचे हाथ करेंगे, ये बजने लगेगी। मंदिर प्रशासन की मानें तो यह श्री कृष्ण बलराम मंदिर राजस्थान का पहला मंदिर है, जहां इस तरह का घंटा लगाया गया है।
श्री कृष्ण बलराम मंदिर जयपुर में नया धार्मिक पर्यटक स्थल है। यह मंदिर महल रोड़, जगतपुरा में स्थित है। यह मंदिर काफी भव्य है। यहां श्री कृष्ण और बलराम का श्रंगार देखते ही बनता है। यहां हरे कृष्णा—हरे रामा का जाप करते हुये मन का शांति मिलने लगती है और कदम स्वत: थिरकने लगते है। पालकी यात्रा, जन्माष्टमी पर्व यहां धूमधाम से मनाया जाता है।
यहां तक पहुंचने के लिये पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन उपलब्ध है। विभिन्न स्थानों से यहां के लिये लो फ्लोर बस सेवा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त टैक्सी कार या आटो रिक्शा से भी यहां पहुंचा जा सकता है। मंदिर परिसर में कैंटिन की भी सुविधा जहां शुद्ध शाकाहारी फास्टफूड रियायती दरों पर मिलता है।
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