श्री जैन श्वैताम्बर देलवाड़ा मन्दिर, मांउट आबू, राजस्थान
भारत में लगभग सभी प्राकृतिक सौंदर्य के स्थानों पर धार्मिक स्थल बनाए गये हैं। राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन मांउट आबू भी इससे अछूता नहीं है। मांउट आबू के दर्शनीय स्थलों में एक वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण दिलवाडा जैन मंदिर है। इस मंदिर को बाहर से देखने पर सिर्फ एक दीवार ही नज़र आती है, जो कि लोकमतानुसार आक्रांताओं से बचने के लिये बनाई गई थी। मुख्य द्वार से अन्दर प्रवेश करने के बाद इस क्षेत्र की सुन्दरता सामने आती है।
क्षेत्र पर कुल पांच जिनालय हैं, जिनसे यह स्थान अपनी पच्चीकारी और स्थापात्य कला के वैभव कला के साथ आने वाले सभी दर्शानार्थीयों का मन मोह लेता है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी व 13वीं शताब्दी में हुआ था। सर्वप्रथम 1031 ई. में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के स्थल का निर्माण विमल शाह, जो कि गुजरात के सोलंकी शासकों के मंत्री थे, के द्वारा कराया गया था। इसी वजह से इसे विमल वासाही मन्दिर के नाम से जाना जाता है। जैन धर्म के बाईसवें तीर्थंकर को समर्पित मन्दिर लूना वासाही के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण वास्तुपाल व तेजपाल ने सन् 1231 में करवाया था। इन मन्दिरों मे दो मन्दिर हैं, जिनको जेठानी—देवरानी की मन्दिर कहा जाता है। लोकमतानुसार इन मन्दिर को कई बार तोड़कर बनाया गया, जिससे एक मन्दिर दूसरे मन्दिर से सुन्दर लगे और इस पर काफी धन खर्च हुआ। अन्त में दोनो मन्दिर एक समान बनाये गये और पच्चीकारी के कार्य से अलग-अलग किए गए।
क्षेत्र पर एक मन्दिर है, जो लोकमतानुसार शेष चार मन्दिरों के निर्माण मे खराब रहे पत्थरों से बनाया गया है। यह मन्दिर अनुपयोगी सामग्री को पुनः कार्य में लिये जाने का उदाहरण है।
क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों के लिये सुबह खुल जाता है तथा अन्य दर्शानार्थियों को 12 बजे के बाद प्रवेश दिया जाता है ।
क्षेत्र मांउट आबू के पास होने के कारण यहां आसपास ही आवास हेतु सभी प्रकार की धर्मशालाएं और होटल आदि उपलब्ध हैं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर में दर्शन सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक किए जा सकते हैं।
Shri Jain Swetamber Delwara Mandir, Mount Abu, Rajasthan, on Google Map
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कैसे पहुंचें (How To Reach)मांउट आबू से साधन उपलब्ध है ।
सड़क: मांउट आबू 3 किमी
रेलवे स्टेशन: आबू रोड 23 किमी

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