वज्रांग मंदिर, विराटनगर जयपुर, राजस्थान (Vjraang temple, Virat Nagar Jaipur, Rajasthan)
हनुमान जी की पहचान उनकी पूंछ से है। यह उनको प्रिय भी है लेकिन, एक ऐसा मंदिर भी है जहां हनुमानजी की बिना पूंछ वाली प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर का नाम वज्रांग मंदिर है।
यह मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर के विराटनगर कस्बे में भीम डूंगरी पर स्थित है। भीम डूंगरी को पंचखंड पर्वत भी कहा जाता है।
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 125 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। इस मंदिर की स्थापना गोभक्त, स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध लेखक महात्मा रामचन्द्र वीर जी ने की थी। उन्होंने इस मंदिर की स्थापना अपने गुरु रामदास महाराज की प्रेरणा से की। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कुंती पुत्र भीम का जन्म पवन देव से हुआ था। हनुमान जी भी पवन पुत्र है। ऐसे में हनुमान जी और भीम रिश्ते में एक—दूसरे के भाई है। कहा जाता है कि वज्रांग देव स्वरूप में हनुमान जी अपने अनुज पवनपुत्र कुंती नंदन भीमसेन के प्रिय पर्वत का उद्धार करने के लिए यहां आकर विराजमान हुए। यहां पर भीमसेन का मंदिर भी है। दरअसल भीम सहित पाण्डवों ने यहां अज्ञातवास के दिन बिताए थे।
यह स्थान एक और वजह से भी खास है। संभवत: यह एकमात्र तीर्थ है जहां दोनों पवन सुपुत्रों हनुमान जी और भीम की पूजा होती है। वज्रांग मंदिर से नीचे आते है तो वहा पर भीम तालाब स्थित है। यह भीम के पैर के पंजे के आकार का है। यहां भीमसेन का मंदिर है। गौरतलब है कि विराट नगर जिसे बैराठ के नाम से जाना जाता है। विराटनगर प्रगेतिहासिक, महाभारतकालीन, गुप्तकालीन और मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओ को भी अपने में समेटे हुए है।
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कैसे पहुंचें (How To Reach)
विराट नगर कस्बा जयपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर तथा अलवर से करीब 60 किलोमीटर दूर है। जयपुर तक रेलमार्ग, सड़क मार्ग या वायुमार्ग से पहुंचकर यहां सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन अलवर है।

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