मामा—भांजा मंदिर, बारसुर, दन्तेवाड़ा, छत्तीसगढ़ (Mama Bhanja temple, Barsur, Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ राज्य के दन्तेवाड़ा जिले में एक छोटा सा गांव है बरसुर। कोई इसे बारसुर भी कहता है। बस्तर की ऐतिहासिक नगरी बारसूर को नागवंशीय राजाओं की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। यह जगदलपुर दन्तेवाड़ा मार्ग में गीदम से 23 किमी. दूर है। यहीं पर स्थित प्रसिद्ध मामा—भान्जा मंदिर। यह मंदिर कब बना और क्यो बनाया गया, इसकी आधिकारिक जानकारी देने के लिए यहां कोई बोर्ड नहीं है लेकिन, स्थानीय लोगों की मानें तो यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। यही वजह है कि आर्किलॉजी सर्वे आॅफ इंडिया इस मंदिर की सुध ले रहा है।
मामा—भान्जा के नाम से फेमस इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव का परिवार स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण दो शिल्पकारों ने मिलकर एक ही दिन में कर दिया था। ये शिल्पकार रिश्ते में मामा और भान्जा थे। इस वजह है कि इस मंदिर को मामा—भान्जा मंदिर कहा जाता है।
एक अन्य जनश्रुति के अनुसार, बारसूर में गंगवंशीय राजा का साम्राज्य था। राजा का भान्जा कला प्रेमी था। इसने अपने मामा राजा को बिना बताए उत्कल देश से एक शिल्पकार को बुलाकर एक भव्य मंदिर बनवाने लगा। राजा को जब इसकी जानकारी मिली तो उसे बड़ी ईष्र्या हुई उसने अपने भांजे को बुलवाकर प्रताडि़त किया। भांजा ने आवेश में आकर अपने मामा की हत्या कर दी। बाद में उसे काफी पछतावा हुआ। पश्चाताप के लिए उसने एक इस मंदिर में उसी की मूर्ति उसके सिर के आकार का बनवाकर स्थापित किया। अत: मामा की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद भांजे की मृत्यु के बाद मंदिर में भी उसकी स्मृति में मूर्ति स्थापित की गयी। इस प्रकार इस दोनों मूर्ति के कारण इसे मामा-भांजा मंदिर कहा जाता है। कुछ विद्धान इसे प्राचीन शिवमंदिर होने की बात कहते हैं।
Mama Bhanja temple, Barsur, Chhattisgarh on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
प्रसिद्ध मामा—भान्जा मन्दिर दन्तेवाड़ा जिले के गांव बारसुर में स्थित है। यह गांव गदम से करीब 23 किलोमीटर दूर है। जगदलपुर तथा दन्तेवाड़ा से यहां बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

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