राजराजेश्वरी माता मन्दिर, जयपुर, राजस्थान (Raj Rajeshwari Mata Temple, Jaipur, Rajasthan)
दिल्ली—जयपुर नेशनल हाइवे पर जयपुर के नजदीक मानबाग के सामने स्थित राजराजेश्वरी माता के प्राचीन मन्दिर का निर्माण जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने युद्ध में जीतने के बाद तांत्रिक विधि से कराया था। लोकमान्यता के अनुसार मराठा सेना ने जुलाई 1787 में जयपुर रियासत पर हमला बोल दिया। जयपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर तूंगा नामक स्थान पर सवाई प्रतापसिंह और मराठा सेनापति महादजी सिन्धिया के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में एक बार प्रतापसिंह की स्थिति खराब हो गई तो वह युद्ध छोड़कर जयपुर में प्रभातपुरी की पहाड़ियों में तपस्या कर रहे दत्तात्रेय परम्परा के सिद्ध संत अमृतपुरी महाराज की शरण में आ गए। संत ने प्रतापसिंह को आशिर्वाद दिया और पुन: युद्ध में जाने के लिए कहा। उन्होंने राजा से वचन लिया कि वे युद्ध जीतने के बाद वह राजराजेश्वरी माता के मन्दिर का निर्माण कराएंगे। महाराजा प्रतापसिंह युद्ध क्षेत्र में गए और जीत गए। बाद में उन्होंने वचन के मुताबिक इस मंदिर निर्माण करवाया।
जयपुर की परम्परागत स्थापत्य शैली में बना यह मन्दिर बाहर से देखने पर किसी किले की भांति नजर आता है। मन्दिर की चारदीवारी में ठीके वैसे ही मोखे यानि छोटी खिड़कियां बनी हुई जैसे कि आमेर या अन्य महलों में है। युद्ध की स्थिति में इनमें से छोटी तोप का गोला फेंका जा सकता है। मन्दिर के पुजारी गणेशपुरी महाराज ने बताया कि यहां दो बावड़ियों का निर्माण भी उस वक्त कराया गया था। इस परिसर में दस भुजा हनुमानजी और अष्टभुजा भैरवनाथ का मन्दिर भी है। देवी के मुख्य मन्दिर में सूर्यदेव और गणेशजी की प्रतिमा विराजमान है। दीवार पर काले भैरव और गौरे भैरव की चित्र बना हुआ है। उन्होंने बताया कि यह मन्दिर सिद्ध मन्दिर है और यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद को माता पूरी करती है। नवरात्रों में यहां विशेष आयोजन होता है। अमृतपुरी महाराज तथा अन्य संतों की समाधी भी मन्दिर के बाहर बनी हुई है।
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कैसे पहुंचें (How To Reach)
राज राजेश्वरी माता का प्राचीन मन्दिर जयपुर में दिल्ली—बाइपास पर बंध के घाटी के समीप स्थित है। जयपुर एयरपोर्ट से इस मन्दिर की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। जबकि बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से यह मन्दिर क्रमश: सात और नौ किलोमीटर दूरी पर है। रामगढ़ मोड़ से दिल्ली की तरफ करीब तीन किलोमीटर चलने पर लेफ्ट में टर्न लेना पड़ता है। यहां से करीब एक किमी अन्दर यह मन्दिर स्थित है।

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