मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा का मन्दिर, वाराणसी, उत्तरप्रदेश (Maa Brahmacharini Durga Temple Varanasi, UP)
ब्रह्मचारिणी, हिमालय पर्वत और मैना की पुत्री थी। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने नारद जी के उपदेश पर भगवान शिव की अभूतपूर्व तपस्या की। कई सालों तक निराहार व्रत किया। खुले आसमन के नीचे रहकर संकटों को सहन किया। इस तपस्या में उनका शरीर क्षीण हो गया।माता की इस तपस्या को देवताओं, ऋषि—मुनियों ने भी अद्वितीय बताया। कहा जाता है कि वैसी तपस्या आज तक किसी ने नहीं की।
तप और तपस्या का दूसरा नाम देवी ब्रह्मचारिणी का प्रसिद्ध मन्दिर वाराणसी के कर्णघंटा क्षेत्र स्थित बालाजी घाट पर स्थित है। ब्रह्मचारिणी देवी मन्दिर में वैसे तो भक्त पूरे साल ही दर्शन के लिए आते है लेकिन, नवरात्रों में यहां दर्शनों के लिए भक्तों को लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। नवरात्रों के दूसरे दिन तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा—अर्चना करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता के मन्दिर में लाल फूल, लाल चूनरी और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
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कैसे पहुंचें (How To Reach)
प्रसिद्ध मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा मन्दिर से रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन करीब तीन किलोमीटर दूर है। वहां से रिक्शा से यहां पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट करीब 22 किलोमीटर दूर है। यहां तंग गलियों के कारण स्थानीय साधनों का ही उपयोग बेहतर रहता है।

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