बजरंग धोरा, बीकानेर, राजस्थान (Bajrang Dhora, Bikaner,Rajasthan)
बीकानेर में स्थित बजरंग धोरा मन्दिर को लेकर स्थानीय निवासियों में गहरी आस्था है। इस मन्दिर के चारों ओर दूर—दूर तक आबादी नजर नहीं आती। दिखती है रेत और भक्तों की आस्था। मंगलवार और शनिवार को तो यहां काफी रेलमपेल रहती है। चैत्र पूर्णिमा को विशेष शृंगार के साथ बूंदी महाप्रसाद का आयोजन होता है जबकि शरद् पूर्णिमा को मध्य रात्रि में विशेष आरती के बाद खीर प्रसाद का वितरण किया जाता है। वसंत पंचमी व गुरु पूर्णिमा को भजन संध्या के साथ प्रसाद वितरण होता है। इन अवसरों में पर यहां भक्तों की भीड़ जुटती है। अब तो यहां पहुंचने के लिए पक्की सड़क है। लेकिन, कुछ साल पहले तक रेत के धोरों में होकर आना—जाना पड़ता था। इसलिए इस स्थान का नाम बजरंग धोरा पड़ गया। यहां भव्य मन्दिर बना हुआ है।
इस मन्दिर की स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि यहां पर आध्यात्मिक खोज में निकले बाबा रामचंद्र जी दाधीच ने साधना की थी। इस मन्दिर की स्थापना बसंत पंचमी (शनिवार) संवत् 2016 (ईस्वी सन 1961) को बाबा रामचंद्र जी महाराज ने की थी। इससे पूर्व रामचंद्र जी दाधीच बीकानेर से करीब 80 किमी. दूर पूगल गांव में रहते थे। किसी कारणवश पूगल त्यागकर वे बीकानेर आ गए और यहां एक हनुमानजी का मन्दिर बनवाया। वर्तमान में माहेश्वरी सदन के पास यह मन्दिर स्थित है। बाद में वे उस स्थान को छोड़कर बीकानेर से उत्तर की और स्थित धोरों में जहां अभी मन्दिर है वहां छोटा सा मन्दिर बनाकर रहने लगे। 23 वर्ष तक इस मंदिर परिसर में बाबा जी रहे तथा यहीं उनका देहांत हुआ। यह दक्षिणमुखी मंदिर है तथा बाला जी के दाएं हाथ में संजीवनी बूटी का पर्वत लिए मूर्ति है तथा परंपरागत कपड़े की अंगी सप्ताहवार बदली जाती है।
भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां सुंदर कांड व सवा मणि का कार्यक्रम करवाते है। मन्दिर के दीवारों पर अंकित चित्रों में पूरी रामायण का वर्णन है।
Bajrang Dhora, Bikaner,Rajasthan on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
बजरंग धोरा बीकानेर शहर से करीब 12 किमी दूर पूगल रोड पर स्थित है। बीकानेर शहर से यहां तक पहुंचने के लिए निजी साधन अथवा टैक्सी इंतजाम करना पड़ता है। रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड बीकानेर यहां से क्रमश: 14 और 10 किलोमीटर की दूरी पर है।

जय श्री राम जय श्री हनुमान
ReplyDeleteयह बहुत ही शानदार मन्दिर है और यहां के दर्शन के बाद चारों बालू के पहाड़ों (धोरों) की सुंदरता देखकर यहां से जणे का मन ही नहीं होता।
ReplyDeleteकहा जाता है कि दाधीच जी महाराज नें यहां कड़ी तपस्या और सिद्धियां प्राप्त की थी। याहण आ कर मन से जो भी मन्नत मानी जाए अवश्य पूर्ण होती है।
यहां के विशाल प्रांगण में हनुमान चलीसा और सुंदर काण्ड के पाठ करने का आनंद ही कुछ और है। चारों तरफ खुला जंगल और धोरे ही धोरे (बालू के पहाड़) हैं।
बजरंग धोरे वाले हनुमान जी महाराज की जय।
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