मकरध्वज का मन्दिर जहां अर्जी लगाने से दूर होता हैं संकट

राजस्थान के ब्यावर में हनुमान जी और उनके पुत्र मकरध्वज का मन्दिर स्थापित है। यह मन्दिर देश में ऐसा दूसरा स्थान है जहां हनुमानजी और उनके पुत्र मकरध्वज की एक साथ पूजा होती है।

मकरध्वज बालाजी धाम, ब्यावर, राजस्थान (Hanuman And Makardwaj Temple,Beawar, Rajasthan)

राजस्थान के ब्यावर में हनुमान जी और उनके पुत्र मकरध्वज का मन्दिर स्थापित है। यह मन्दिर देश में ऐसा दूसरा स्थान है जहां हनुमानजी और उनके पुत्र मकरध्वज की एक साथ पूजा होती है। एक मन्दिर दांडी हनुमान जी के नाम से फेमस है और यह गुजरात में स्थित है।

राजस्थान में स्थित इस मन्दिर के बारे में मान्यता है कि वर्तमान ब्यावर और उसके आसपास का इलाके में प्राचीन समय में हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज का आधिपत्य था। जिस स्थान पर यह मन्दिर है वहां मकरध्वज का सिंहासन था। भगवान श्री राम के वरदान की वजह से कलियुग में जाग्रत देव के रूप में भक्तों का समभाव से संकट निवारण करने के लिए मकरध्वज बालाजी के विग्रह का प्राकट्य हुआ। उसी समय अपनी जन्मभूमि से हनुमान बालाजी भी यहां सविग्रह पुत्र के साथ विराजमान हो गए। ब्यावर में स्थित इस मन्दिर की मान्यता दांडी मन्दिर जैसी ही है।

यहां प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को देशभर से लोग दर्शन करने के लिए आते है। यह स्थान तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है। यहां हनुमान, मकरध्वज, गोरखनाथ, महाकाल भैरव, घंटाकर्ण संबंधी उपासना एवं तंत्र-मंत्र साधना की जाती है। इस मन्दिर में किसी समस्या या संकट के निवारण के लिए प्रसाद आदि के साथ अर्जी लगाई जाती है। दरअसल यह दरबार में चढ़ाने का एक प्रसाद है , जिसमे नारियल, अगरबत्ती, सिंदूर, तेल, देशी घी का दीपक, चावल, उड़द, मोली रेवड़ी आदि पूजन सामग्री होती है।

मकरध्वज बालाजी आने वाले भक्तजन दुकान से अर्जी लेते हैं। उसे बालाजी के दरबार में ले जाकर 21 बार शरीर पर उवारते है। मान्यता है कि इससे संकट दूर हो जाता है।

Hanuman And Makardwaj Temple,Beawar, Rajasthan on Google Map


कैसे पहुंचें (How To Reach)
एयरपोर्ट— जयपुर और जोधपुर ब्यावर से दोनों की दूरी समान है। ये करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित
सड़क मार्ग— ब्याबर बस स्टैंड मन्दिर से एक किलोमीटर दूर है। ब्यावर के लिए सभी शहरों से बसें है। अजमेर होकर भी यहां पहुंचा जा सकता है।
रेलवे स्टेशन— ब्यावर में रेलवे स्टेशन है। यह मन्दिर से दो किलोेमीटर दूरी पर है। अजमेर रेलवे स्टेशन पहुचंकर वहां से बस या अन्य साधन से यहां पहुंचा जा सकता है।
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