सिद्धवर कूट दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र (Sidhwarkut Digamber Jain, Siddha Khetra)
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा और कावेरी नदियों के संगम पर यह अति प्राचीन दिगम्बर जैन सिद्व क्षेत्र सिद्ववरकूट स्थित है । जैनमतानुसार क्षेत्र से दो चक्रवर्ती, 10 कामदेव व साढे तीन करोड मुनि मोक्ष को गये थे । संवत 1535 में इंदौर में निवस करने वाले भट्टारक महेन्द्रकीर्ती जी को अतिप्राचीन क्षेत्र होने का स्वप्न आया । स्वप्न के अनुसार भट्टारक महेन्द्रकीर्ती जी ने वनों में इस क्षेत्र की खोज करना प्रारम्भ किया और लगभग 10 वर्ष की खोज करने के पश्चात संवत 1545 में भट्टारक महेन्द्रकिर्ती जी को नर्मदा नदी के तट पर एक जीर्णषीर्ण अवस्था में विषाल मंदिर जी के दर्षन हुये तथा इस मंदिर जी में भगवान आदिनाथ व भगवान चन्द्रप्रभु जी की प्रतिमा के भी दर्षन हुये । संवत 1951 में मन्दिर जी का जीर्णोधा कराया गया तथा प्रतिमाओं की पंचकल्याण किया जाकर प्रतिष्ठा करवाई गई । क्षेत्र पर मूलनायक प्रतिमा भगवान संभवनाथ जी की है ।
वर्तमान में क्षेत्र पर भगवान आदिनाथ, भगवान नेमीनाथ, भगवान पाष्र्वनाथ, भगवान शांतिनाथ, भगवान महावीर , भगवान बाहुबली आदि सहित कुल 13 मन्दिर है । क्षेत्र पर मानसतम्भ व चरण छत्री भी है । क्षेत्र से कुछ ही दूरी पर एक कुण्ड है जिसे कष्ट निवारक कुण्ड कहा जाता है । माना जाता है कि इस कुण्ड क ेजल से सभी रोग से मुक्ति हो जाती है । कुण्ड के पास ही एक अति प्राचीन पाण्डुकषिला भी है। क्षेत्र पर अन्य कई प्राचीन प्रतिमायें भी स्थित है ।
कावरेी नदी के एक तट पर यह सिद्व क्षेत्र स्थित है तो दूसरी ओर नर्मदा के तट पर ओंकारेष्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है । क्षेत्र से ओंकरेष्वर आने जाने के लिये एक झुलापुल व नौका का भी उपयोग किया जाता है ।
क्षेत्र पर आवास व भोजनालय की व्यवस्था है ।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मौसम के अनुसार समय परिवर्तित होता रहता है।
Sidhwarkut Digamber Jain, Siddha Khetra on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)क्षेत्र पर जाने हेतु ओंकारेष्वर साधन उपलब्ध है ।
सड़क: बस स्टेण्ड औंकारेश्वर— 2 किलोमीटर
रेलवे स्टेशन: औंकारेश्वर रोड़ ;मोरटक्काद्ध— 12 किलोमीटर

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