कुछ देर के लिए यहां जीवित हो उठता है मुर्दा


लाखामंडल शिवमन्दिर, देहरादून, उत्तराखंड (Lakhamandalshiv Mandir,Dehradun,Uttarakhand)

देहरादून से करीब 125 किलोमीटर दूर लाखामंडल नामक स्थान ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण फेमस है। यहां स्थित शिवलिंग को लेकर कई रोचक और आश्चर्यजनक मान्यताएं प्रचलित है। इन मान्यताओं के हर साल यहां हजारों भक्त शिव की आराधना के लिए पहुंचते है। यहां की ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे संरक्षित स्थान घोषित किया गया है।

कहा जाता है कि मुख्य शिवलिंग सृष्टि की रचना के समय से यहां मौजूद है और इस पर जलाभिषेक से भगवान शिव अपने भक्त के समस्त पापों का नाश कर देते है। जलाभिषेक के समय भक्त का चेहरा शिवलिंग में स्पष्ट नजर आता है। इस शिवलिंग के प्रति आस्था कितनी गहरी है इसका अन्दाजा इस मान्यता से लगाया जा सकता है कि यहां स्थापित द्वारपालों के सामने किसी शव का रखकर पुजारी उस मन्दिर का पवित्र जल छिड़के तो वह कुछ समय के लिए ​जीवित हो उठता है। जीवित होने पर वह भगवान का नाम लेता है। उसे गंगाजल दिया जाता है तथा गंगाजल ग्रहण करने के बाद व्यक्ति इस संसार को छोड़ देता है।

पहला शिवलिंग है यह!
कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। दोनों में यह बहस छिड़ गई कि कौन सबसे श्रेष्ठ है। उनके इस विवाद के दौरान एक घटना घटित हुई। एक अग्नि पिंड उनके बीच में आकर स्थित हो जाता है। दोनों इसकी शुरूआत और अंत खोजने लगते है लेकिन, वे इसमें सफल नहीं हो पाते। इसमें से ॐ की ध्वनि आ रही थी। ब्रह्मा जी और विष्णु जी समझ गए कि यह शक्ति है और वे स्वयं ॐ की आराधना करने लगे। उनकी आराधना से शिव प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। लिंग महापुराण के अनुसार यह भगवान शिव का पहला शिवलिंग था। इस लिंग के स्थापित होने के बाद स्वयं भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने शिवलिंग की पूजा की थी। यह वहीं शिवलिंग है जिसकी पूजा आज लाखामंडल में होती है।

कलियुग में ऐसे प्रकट हुआ यह शिवलिंग

इस अनोखे शिवलिंग के प्रकट होने के संबंध में कहा जाता है कि लाखामंडल के किसी व्यक्ति को स्वप्न में एक साधु यह कहते नजर आया कि वह दलदल मे फंसा है और उसे निकाल ले। व्यक्ति सपने में दिखी जगह पहुंचा और उसने अन्य लोगों की मदद से खुदाई की तो वहां यह शिवलिंग नजर आया। बाद में गुप्तोत्तर काल में सातवीं शताब्दी में सिंहपुर के यदुवंशीय शासक श्रीभास्कर वर्मन की पुत्री ईश्वरा ने अपने पति श्रीचन्द्र गुप्त (जालंधर का शासक) की पुण्य स्मृति में लाखा मंडल में शिव मंदिर का निर्माण कराया था। ऐतिहासिक मंदिर के परिसर से दो शिला लेख प्राप्त हुए हैं। इसी तरह यहां दो गुफाओं मे रखी हुयी शिला पर लिखी एक भाषा का रहस्य आज तक बना हुआ है।

यहां और भी शिवलिंग है

यहां पर और भी कई छोटे—बड़े शिवलिंग है। यह सब यहां खुदाई में मिले है। यहां एक मान्यता और है। इसके अनुसार महाभारत काल में पांडवों को जीवित आग में भस्म करने के लिए कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर स्वयं युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था। इस शिवलिंग को महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है। जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित किया था वहां एक बहुत खूबसूरत मंदिर बनाया गया था। शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए दिखते हैं।
महामंडलेश्वर शिवलिंग के बारे में यह भी मान्यता है कि जो भी स्त्री, पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से महाशिवरात्रि की रात मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर शिवालय के दीपक को एकटक निहारते हुए शिवमंत्र का जाप करती है, उसे एक साल के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। यहां अखंड ज्योत जलती है।

मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर सुबह साढ़े पांच बजे से रात आठ बजे तक खुला रहता है।

Lakhamandalshiv Mandir,Dehradun,Uttarakhand on Google Map


कैसे पहुंचें (How To Reach)
लाखामंडल पहुंचने के लिए सबसे पहले देहरादून पहुंचना होगा। यहां पर रेल मार्ग, बस मार्ग और हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा लाखामंडल पहुंच सकते है। देहरादून में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड तथा एयरपोर्ट है। जिनकी लाखामंडल से दूरी 125 ये 130 किलोमीटर है।

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1 comments :

  1. जाने माँ वैष्णो देवी की गुफा से जुड़े इन 6 रहस्यों को !
    हिन्दुओ का विश्व प्रसिद्ध तथा पवित्र तीर्थ स्थल माता वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू कश्मीर राज्य के त्रिकुटा पहाड़ियों पर बसा है. माता का यह मंदिर पहाड़ों में एक गुफा के अंदर स्थित है, प्रत्येक वर्ष लाखो भक्त माता के दर्शन करने के लिए यहाँ आते है.

    यह मंदिर पहाड़ पर स्थित होने के कारण अपनी भव्यता व सुंदरता के कारण भी प्रसिद्ध है. वैष्णो देवी भी ऐसे ही स्थानों में एक है जिसे माता का निवास स्थान माना जाता है. यह भारत में तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थस्थल है.

    जितना महत्व यहाँ माता वैष्णव देवी का है उतना ही महत्व माता की गुफा का भी है. माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए उनके भक्तो को एक प्राचीन गुफा से होकर गुजरना पड़ता है. कहा जाता है की माता की यह गुफा बहुत ही चमत्कारी और रहस्यों से भरी पड़ी है.

    आइये जानते है माता वैष्णव देवी की गुफा से जुड़े 6 रहस्य :-
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