भानगढ का नाम आते ही मस्तिष्क में एक रहस्य भरे स्थान की तस्वीर खींच जाती है। सही भी है। यहां सब कुछ रहस्यमय नजर आता है। आधे—अधूरे निर्माण, मन्दिर और किले, जिन्हें देखने मात्र से भानगढ को लेकर प्रचलित कहानियों और किस्सों में सत्यता का आभास होने लगता है। तीन ओर से पहाडियों से घिरा यह स्थान रमणीक और ऐतिहासिक है। जानकारों के अनुसार यह स्थान 16वीं सदी में विकसित था। इसकी स्थापना राजा भगवन्त दास ने की थी जिसके बाद आमेर के राजा मानसिंह के भाई माधोसिंह, जो अकबर के दरबार में दीवान थें ने अपनी राजधानी बनाई। प्रवेश द्धार के पास ही गणेश मन्दिर व हनुमान मन्दिर है।
इसके अतिरिक्त मन्दिर सोमेशवर महादेव, केशवराय, गोपीनाथ व मंगला देवी भी यहां देखने योग्य है। ये चारों मन्दिर नागर शैली में बने हुए है। मन्दिरों में से केशवराय, मंगला देवी व गोपीनाथ मन्दिरों ऐसे हैं जिनमें प्रतिमाएं नहीं है लेकिन, सोमेशवर मन्दिर में शिवलिंग व नन्दी की प्रतिमा है । सोमेशवर मन्दिर के पास एक कुण्ड है जिसमें वर्तमान में स्नान करने पर रोक लगा रखी है।
भागनगढ के बारे में कहा जाता है कि भानगढ के किले को बनाने की सहमति बालूनाथ योगी, जिनकी यह तपस्थली थी, ने किले की परछाई कभी भी बालूनाथ योगी की तपस्या स्थल को नहीं छूने की शर्त पर दी थी। लेकिन, इस बात पर ध्यान दिए बिना ही किले का निर्माण उपर की ओर जारी रखा गया जिसके कारण किले की परछाई तपस्या स्थल पर पड गयी। इस पर योगी बालूनाथ ने भानगढ को श्राप दिया जिससे भानगढ समाप्त कर दिया, यह समाधि अभी भी पहाड पर मौजूद है।
एक अन्य लोकमत यह भी है कि भानगढ की राजकुमारी रत्नावती को पाने के लिए सिंधिया नामक तांत्रिक ने राजकुमारी के उपयोग हेतु लाए जा रहे तेल को अपने जादू से सम्मोहित करने वाला बना दिया। राजकुमारी रत्नावती ने वह तेल एक चट्टान पर गिरा दिया। इससे तांत्रिक की मौत हो गई लेकिन, मौत से पहले तांत्रिक ने भानगढ व राजकुमारी को नाश होने का श्राप दे दिया जिससे यह नगर नष्ट हो गया । ऐसा भी कहा जाता है कि वर्तमान में इस स्थान पर उस समय के व्यक्तियों के भूतों का वास है तथा रात्रि को भी व्यक्ति नहीं रह सकता है ।
भानगढ किला राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के कारण केवल दिन में ही देखने के लिये खुला रहता है । सोमेश्वर महादेव मन्दिर में दर्शन भी दिन में ही किये जा सकते है ।
मन्दिर में दर्शन का समय:
सोमेश्वर महादेव मन्दिर में दर्शन भी दिन में ही किये जा सकते है ।
Someshver Mandir, Bhangarh Fort, Alwar, Rajasthan on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)अपने साधन से जाना सुविधाजनक होगा ।
सड़क: बस स्टेण्ड भानगढ 3 किलोमीटर
रेलवे स्टेशन: दौसा 37 किलोमीटर

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