ज्वालामुखी माता मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश (Jwalaji Temple, Kangda, Himachal Pradesh)
यदि आप भारत में स्थित शक्तिपीठों की यात्रा कर रहे हैं, तो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित ज्वालामुखी माता मंदिर में अवश्य जाइये। यह मंदिर जोता वाली का मंदिर और नगरकोट के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर सती की जीभ गिरी थी और यहां ज्योति के रूप में माता दर्शन देती हैं।
इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी। मंदिर का निर्माण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने वर्ष 1835 में इस मंदिर को आधुनिक स्वरूप दिया।
यहां नौ ज्योतियों के रूप में माता की पूजा होती है, जिन्हें— महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी का प्रतिरूप माना जाता है। इस मंदिर की प्रसिद्धि इतनी है कि स्वयं अकबर भी यहां पूजा करने के लिए आए थे और धातु का छत्र चढ़ाया था, जो आज भी मंदिर में मौजूद है।
मंदिर का मुख्य द्वार भव्य है। इसके बाईं ओर अकबर नहर नजर आती है, जिसे अकबर ने बनवाया था। इसके आगे गोरखनाथ का मंदिर है जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। इस मे एक पानी का एक कुंड है, जिसमें गर्म पानी रहता है ज्वाला मंदिर के पास ही लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर नगिनी माता का मंदिर है। रघुनाथ जी का मंदिर भी है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मंदिर में पहली आरती सुबह 5 बजे से और शयन की आरती रात 10 बजे होती है। वर्ष में दोनों नवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है।
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कैसे पहुंचें (How To Reach)
रेल मार्ग : पठानकोट से चलने वाली स्पेशल ट्रेन की सहायता से मरांदा होते हुए पालमपुर आइए। पालमपुर से मंदिर तक जाने के लिए बस व कार सुविधा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग :
नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है जो कि ज्वालाजी से 46 किमी की दूरी पर है। यहां से मंदिर तक जाने के लिए कार व बस सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग :पठानकोट, दिल्ली, शिमला आदि प्रमुख शहरो से ज्वालामुखी मंदिर तक जाने के लिए बस व कार सुविधा उपलब्ध है। यात्री निजी वाहनों व हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग की बस से भी यहां पहुंच सकते हैं। दिल्ली से ज्वालाजी के लिए दिल्ली परिवहन निगम की सीधी बस सुविधा भी उपलब्ध है। यह स्थान पठानकोट से 123 किमी, दिल्ली से 473 किमी, कांगडा से 30 किमी, शिमला से 212 किमी, अंबाला से 273 किमी और धर्मशाला से 55 किमी दूर है।

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