साल में एक बार 12 घंटे के लिए 'निजरूप दर्शन'
आंध्र प्रदेश के सिंहाचलम में स्थित सिम्हाद्रि या सिंहाचलम मंदिर भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। कलिंग वास्तुकला शैली के अनुसार बनाए गए इस मंदिर का मुंह पश्चिम दिशा की ओर है।
मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। श्री वराहलक्ष्मी नरसिंह स्वामी इस मंदिर में प्रथम पूज्य हैं। मूर्ति सालभर चंदन के लेप में लिपटी रहती है, लेकिन साल में एक बार 12 घंटे के लिए इस लेप को हटा दिया जाता है। इसे 'निजरूप दर्शन' कहा जाता है, जिसकी बहुत मान्यता है। अक्षय तृतीय के दिन प्रतिमा पर चंदन का लेप फिर से चढ़ा दिया जाता है।
मूल प्रतिमा तिभंगी मुद्रा में है, जिसके दो हाथ और मानव धड़ पर शेर का सिर है। यहां कई शिलालेख हैं, जिनमें से एक संवत 1098 में चोला राजा कुलोथथुंगा का माना जाता है। एक अन्य में कलिंग की पूर्वी गंगा की रानी (1137–1156) की व्याख्या की गयी है, जबकि तीसरे शिलालेख में ओडिसा के पूर्वी गंगा राजा, नरसिंहदेव द्वितीय (1279–1306) के बारे में वर्णन है। लोक मान्यता के अनुसार इस मंदिर के केंद्रीय भाग का निर्माण संवत 1267 में किया गया था। मंदिर की दीवारों पर तेलूगु और उड़िया भाषा के 252 शिलालेख हैं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
दिनभर। यहां वैसाख माह के दौरान 'चंदन यात्रा' और 'चंदनोत्सवम' का त्योहार भी मनाया जाता है।
Simhachalam Temple, Visakhapatnam on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क मार्ग: सिंहाचलम तक सिंहाचलम बस डिपो से आसानी से एपीएसआरटीसी की शहरी बसों द्वारा पंहुचा जा सकता है, जो यहाँ से 4.4 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक सिंहचलन मंदिर बस सेवा द्वारा भी पंहुचा जा सकता है। विशाखापटनम के द्वारका परिसर से भी यहां के लिए बस मिलती है, जो इस स्थान से करीब 20 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: सिंहाचलम रेलवे स्टेशन है मंदिर से 11.1 किलोमीटर दूर है। विशाखापटनम रेलवे स्टेशन यहां का मुख्य रेलवे स्टेशन है, जो सिंहाचलम मंदिर से 18.5 किलोमीटर दूर है।
हवाई मार्ग: विशाखापटनम एयरपोर्ट सिंहाचलम से 13.2 किलोमीटर दूर है।

हमारे हिन्दू सनातन धर्म में भगवान विष्णु को पालनकर्ता कहा गया है, जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के दो रूप कहे गए है एक तो उनका सहज एवं सरल स्वभाव है तथा अपने दूसरे रूप में भगवान विष्णु कालस्वरूप शेषनाग के ऊपर बैठे है.
ReplyDeleteभागवान विष्णु के प्रिय भक्त शेषनाग से जुड़े आश्चर्य चकित करने वाले रहस्य, जिन्हे न आपने कभी सुना होगा न पढ़ा !