इस प्रसिद्ध क्षेत्र में अतिप्राचीन जैन प्रतिमायें हैं, जिनमें से कुछ 12वीं शताब्दी की हैं। मूलनायक प्रतिमा भगवान अरनाथ की हैं।
लोकमत के अनुसार इस क्षेत्र का निर्माण 12वीं शताब्दी में कराया गया था, परन्तु समय के साथ उक्त मन्दिर समाप्त होता गया। अच्छी बात यह है कि इसमें से कुछ प्रतिमायें सुरक्षित हैं।
जनश्रुति के अनुसार वर्ष 1959 में कुछ जैन व्यापारी इस क्षेत्र से निकले और नावई के पास उन्होंने एक इमली के पेड़ के नीचे कुछ खण्डित जैन प्रतिमाओं को देखा, जिनकी ग्रामीण पूजा कर रहे थेे। कुछ समय बाद उस स्थान की सफाई की गई, तो वहां भूगर्भ से 900 वर्ष प्राचीन प्रतिमाएं निकलीं। वहां 4.5 फुट खड्गासन भगवान अरनाथ की प्रतिमा भी थी। इसके बाद ही इस क्षेत्र का विकास किया गया। यहां कुछ शिलालेख व प्रतिमाएं 12वीं शताब्दी और 9वीं शताब्दी की मानी जाती हैं।
नवागढ में प्राचीन गुफाएं भी हैं। वर्ष 1961 में मुनि श्री आदिसागरजी महाराज द्वारा साधना की गई थी। इस मन्दिर में पूजा करने के लिए जैन समाज के साथ ही दूसरे समाजों के श्रद्धालु भी आते हैं। क्षेत्र में संग्रहालय का निर्माण भी किया जा रहा है। इस क्षेत्र पर मूलानायक मन्दिर, बाहुबली जिनालय एवं धर्मशाला है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर प्रातः 5 बजे से रात्रि 7 बजे तक दर्शन के लिये खुला रहता है ।
Navagarh, Nandpuri on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क: Saujna Mainwar 4 किलोमीटर।
रेलवे स्टेशन: टीकमगढ 30 किलोमीटर ।
एयरपोर्ट: ।
निजी वाहन से यात्रा उचित होगी

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