महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित कुन्थुगिरी स्थित जैन मन्दिर की भव्यता देखते ही बनती है। इस स्थान के प्रति गहरी आस्था है और हर दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। यह स्थान हालांकि प्राचीन नहीं है। इसका निर्माण और विकास मुनि श्री कुन्थुसागर जी महाराज की प्रेरणा से शुरू किया गया था।
पहाड़ी की तहलटी में स्थित इस भव्य मन्दिर परिसर में बॉटनिकल गार्डन है, जहां लोग घूम-फिर सकते है। यहां करीब पांच हजार यात्रियों के बैठने की क्षमता का विशाल प्रवचन हॉल है। वृद्ध साधुओं के रहने के लिए यहां आश्रम भी है।
धर्मनुरागी व्यक्ति, जो भागदौड़ की जीवन से कुछ समय आराम व पूजा करना चाहते हैं, उनके लिये यह स्थान उत्तम है।
यहां चिन्तामणि भगवान की 108 फणवाली मूलनायक प्रतिमा है, जो नौ फुट की है। यहां पर चौबीसी, गुरूमन्दिर, आगम मन्दिर, सहस्रकूट जिन मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर, मुनिसुव्रतनाथ मन्दिर आदि भी हैं। प्रत्येक महीने पूर्णिमा को यहां दोपहर में महामस्तकाभिषेक होता है।
वर्तमान में क्षेत्र में निर्माण कार्य चल रहा है और पहाड़ी पर तीर्थराज सम्वेद शिखर जी की प्रतिरूप बनाया जा रहा है। इस दक्षिण का सम्मवेद शिखर या छोटे सम्मवेद शिखर भी कहा जाता है ।
क्षेत्र पर आवास व भोजनशाला की व्यवस्था है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
समय ऋतुओं के अनुसार बदलता रहता है । पहाडी के मन्दिरों में दिन में दर्शन किया जाना उचित होगा ।
Kunthuguri, Kolhapur, Maharashtra on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)क्षेत्र पर स्वयं के साधान से जाना उचित होगा।
सड़क: बस स्टेण्ड सांगली 22 किलोमीटर
रेलवे स्टेशन: रेल्वे स्टेशन मिराज 1 किलोमीटर

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