पहले सूर्य मन्दिर था अब मां काली की पूजा होती है
राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ जिले में रानी पद्मनी के महलों के उत्तर में बायीं ओर स्थित कालिका माता मन्दिर मूलत: सूर्य मन्दिर था। इस मन्दिर का निर्माण आठवीं सदी में सिसोदिया राजवंश के राजा बप्पारावल ने कराया था। इतिहासकारों की मानें तो मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस भव्य मन्दिर को नुकसान पहुंचाया और यहां स्थित सूर्य की प्रतिमा को नष्ट कर दिया।
बाद में 14वीं सदी में महाराणा हमीर सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और यहां भद्र काली प्रतिमा स्थापित की। 16वीं सदी में महाराणा लक्ष्मणसिंह के समय यहां अखंड ज्योत प्रज्वल्लित की गई जो आज तक जल रही है। महाराजा सज्जन सिंह के समय भी इस मन्दिर के जीर्णोद्धार का उल्लेख मिलता है। इस मन्दिर का स्थापत्य देखते ही बनता है। प्रवेश द्वार की चौखट भव्य और कलात्मक हैं। इसके मध्य में सूर्य देव की रथ पर सवार प्रतिमा उत्कीर्ण है। इसके दोनों ओर गन्धर्वो की स्वागत मुद्रा में आकृतियां उकेरी गई है। खंभों, छत और दीवारें आकर्षक है। यहां प्रवेश द्वार पर उकेरी गई सूर्य की ये आकृति इसके किसी जमाने में सूर्य मन्दिर होने की पुष्टि करती है। मन्दिर में शिव परिवार भी स्थापित है।
कालिका माता को चित्तौडग़ढ़ का रक्षक माना जाता है। इसकी वजह से चित्तौडग़ढ़ और उसके आसपास इलाके में देवी की काफी मान्यता है और नवरात्रों में यहां जनसैलाब उमड़ता है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर सुबह छह बजे से रात आठ बजे तक खुला रहता है।
Kalika Mata Temple,Chittorgarh, Rajasthan on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सडक़ मार्ग- चित्तौडग़ढ़ का बस स्टैंड सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। मन्दिर से करीब दो किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग- नजदीकी रेलवे स्टेशन दो किलोमीटर दूर चित्तौडग़ढ़ में है।
हवाई मार्ग- नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर में है। यह करीब 70 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी एवं बस सुविधा उपलब्ध है।

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