हरसिद्धि मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश (Harsidhdhi Temple, Ujjain)
यदि आप उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं, तो हरसिद्धि मंदिर के भी अवश्य दर्शन करें। श्री हरसिद्धि मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में 13वां शक्तिपीठ माना जाता है।
श्री हरसिद्धि मंदिर के पूर्व में महाकाल एवं पश्चिम में रामघाट हैं। साल के सभी महीनों में भक्तों
को आमंत्रित करने वाले उज्जैन में महाकाल के साथ ही हरसिद्धि शक्तिपीठ की पूजा को भी अनिवार्य माना जाता है। नवरात्रि पर यहां काफी भीड़ रहती है और सैकड़ों दीपक एकसाथ नौ दिन जलाये जाते हैं।
श्री हरसिद्धि मंदिर के गर्भगृह के सामने सभाग्रह में श्री यन्त्र निर्मित है। कहा जाता है कि यह सिद्ध श्री यन्त्र है और इस महान यन्त्र के दर्शन से ही पुण्य का लाभ होता है। मंदिर के प्रांगण में शिवजी का कर्कोटकेश्वर महादेव मंदिर भी है, जो कि चौरासी महादेव में से एक है। लोगों का मानना है कि यहां कालसर्प दोष का निवारण होता है। मंदिर प्रांगण के मध्य में दो अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती है। प्रांगण के सभी दिशाओं में चार प्रवेश द्वार है एवं मुख्य प्रवेश द्वार के भीतर हरसिद्धि सभाग्रह के सामने दो दीपमालाएं बनी हुई हैं। यह दीपमालिकाएं मराठाकालीन हैं। यहां हल्दी और सिन्दूर कि परत चढ़ा हुआ एक पवित्र पत्थर भी है जो कि लोगों कि आस्था का केंद्र है ।
इतिहास के अनुसार मां हरसिद्धेश्वरी सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी थीं, जिन्हें कालान्तर में ‘मांगलचाण्डिकी’ के नाम से जाना गया। कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने 11 बार अपने शीश को काटकर मां के चरणों में समर्पित कर दिया, लेकिन वे जीवित और स्वस्थ रहे। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता सती के पिता दक्षराज ने विराट यज्ञ का भव्य आयोजन किया। माता सती उस यज्ञ उत्सव में उपस्थित हुईं। वहां दक्षराज द्वारा शिव का अपमान होते देख माता सती क्रोधित हो अग्निकुंड में कूद पड़ीं। यह जानकर शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने माता सती का शव लेकर सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण शुरू कर दिया। विश्व में हाहाकार मचने पर भगवान विष्णु ने सती के शव से शिव का मोहभंग करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाया। चक्र से मां सती के शव के कई टुकड़े हो गए। उनमें से 13वां टुकड़ा मां सती की कोहनी के रूप में उज्जैन के इस स्थान पर गिरा। तब से माँ यहां हरसिद्धि मंदिर के रूप में स्थापित हुईं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर दिनभर खुलता है। वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि की दशमी और अश्विन मास की दशमी को मां का विशेष शृंगार किया जाता है। देवी भगवती का अभिषेक ब्रह्म मुहूर्त में और आरती सुबह सा़ढ़े 7 व 10 बजे तथा रात 9 बजे होती है।
Harsidhdhi Temple, Indore on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क मार्ग: हरसिद्धि मंदिर महाकाल के पास हरसिद्धि मार्ग पर स्थित है। यहां आने के लिए सिटी बस उपलब्ध है।
रेल मार्ग: उज्जैन जंक्शन से 2.4 किलोमीटर दूर है।
हवाई मार्ग: देवी अहिल्या होल्कर एयरपोर्ट, इन्दौर से 58 किलोमीटर दूर है।

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