जहां सिर्फ हिंदुओं को ही है प्रवेश की इजाजत
केरल के त्रिशूर में स्थित गुरुवायुर मन्दिर धार्मिक आस्था का केन्द्र है। इसे पांच हजार साल पुराना मंदिर माना जाता है और 1638 ईस्वी में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। यह मंदिर केरल श्रेणी का बना है और यहां सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश दिया जाता है।
मंदिर के प्रमुख देवता भगवान गुरुवायुरप्पन हैं जो बालगोपालन (कृष्ण का बालरूप) के रूप में हैं। इस जगह को भगवान कृष्ण का घर मन जाता है और भगवान विष्णु का घर भी माना जाता है। इसे दक्षिण भारत का द्वारिका भी कहा जाता है।
मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति चार हथियार लिए हैं। ये हथियार हैं— शंख, सुदर्शन चक्र, खोउमुदकि और एक कमल। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए इसे भारत के प्रमुख चार मंदिरों में स्थान दिया जाता है।
मंदिर में प्रवेश के लिए खास ड्रेस कोड है। पुरुष कमर पर मुंडु पहनते हैं और सीना खुला रहता है। महिलाएं साड़ी पहनती हैं। लड़कियों को लॉन्ग स्कर्ट और ब्लाउज पहनने की इजाजत है और इन दिनों सलवार कमीज में भी प्रवेश दिया जाता है। सुरक्षा कारणों से मोबाइल फोन और कैमरा साथ रखने की इजाजत नहीं। इसलिए अच्छा होगा कि आप होटल में ही मोबाइल, कैमरा और सैंडल रख कर आएं।
समय: मंदिर प्रात: 3 बजे खुलता है दोपहर 1 बजे दर्शन बंद होते हैं। सायं 4.30 पुन: मंदिर खुलता है और रात में 10 बजे बाद बंद होता है। यहां पांच पूजा और तीन सिवेली होती हैं। मंदिर का पुजारी सुबह मुख्य स्थान पर प्रवेश करने के बाद दोपहर तक कुछ भी खाता या पीता नहीं है।
Guruvayur Temple, Thrissur, Kerala on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)सार्वजनिक बस, टैक्सी या निजी साधन से पहुंचा जा सकता है।
सड़क: गुरुवायुर बस अड्डे से 500 मीटर। त्रिशूर से सड़क मार्ग से यहां तक पहुंचने में आधा घंटा लगता है। हर पांच मिनट में बस सेवा है।
रेल: गुरुवायुर रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर।
एयरपोर्ट: कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 80 किलोमीटर।

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