चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश (Chintaman Ganesh Temple, Ujjain)


यहां है भगवान गणेश की स्वयंभू प्रतिमा

उज्जैन में यह विशाल एवं प्राचीन मंदिर क्षिप्रा नदी के पास फतेहाबाद रेलवे लाइन पर स्थित है। यहां भगवान श्री गणेश को स्वयंभू यानी खुद अवतरित हुए माना जाता है और उनके साथ रिद्धि और सिद्धि विराजमान हैं। इतिहास के अनुसार यह मंदिर परमार काल में बना है और इसके मुख्‍य प्रार्थना कक्ष के खंभों को बारीकी से तराशा गया है। यह मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से बना हुआ है।

अहिल्या देवी होल्कर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और यहां जलकुंड और चारदीवारी की व्यवस्था करवाई। यहां नए वाहनों को लाया जाता है और उन पर गणेशजी का सिंदूर लगाया जाता है। भक्तों के लिए मंदिर परिसर तक पहुँचने के लिए अनेक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। आप मंदिर तक निजी कार, बस, आटो रिक्शा तथा रेलगाड़ी से भी पहुँच सकते हैं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर दिनभर खुलता है। यहां गणेश चतुर्थी को विशाल मेला लगता है।

Chintaman Ganesh Temple, Ujjain on Google Map


कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क मार्ग: उज्जैन बस स्टैंड मंदिर से 5 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग: उज्जैन रेलवे स्टेशन मंदिर से 5 किलोमीटर दूर है।

हवाई मार्ग: देवी अहिल्या होल्कर एयरपोर्ट, इन्दौर से 55 किलोमीटर दूर है।
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2 comments :

  1. हिन्दू धर्म में किसी भी सुबह कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा करना आवश्यक मन गया है क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व् ऋद्धि -सीधी का स्वामी कहा जाता है. इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओ की पूर्ति होती है व् विघ्नों का विनाश होता है. वे अति शीग्र प्रसन्न होने वाले बुद्दि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है. गणेश का अर्थ है – गणों का ईश अर्थात गणों का स्वामी. किसी पूजा आराधना, अनुष्ठान व् कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न – बाधा न पहुंचाए, इसलिए सर्वप्रथम गणेश पूजन कर उनकी कृपा प्राप्त होती है.
    सर्वप्रथम गणेश भगवान् का ही पूजन क्यों ?


    हिन्दू धर्म में किसी भी सुबह कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा करना आवश्यक मन गया है क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व् ऋद्धि -सीधी का स्वामी कहा जाता है. इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओ की पूर्ति होती है व् विघ्नों का विनाश होता है. वे अति शीग्र प्रसन्न होने वाले बुद्दि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है. गणेश का अर्थ है – गणों का ईश अर्थात गणों का स्वामी. किसी पूजा आराधना, अनुष्ठान व् कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न – बाधा न पहुंचाए, इसलिए सर्वप्रथम गणेश पूजन कर उनकी कृपा प्राप्त होती है.
    सर्वप्रथम गणेश भगवान् का ही पूजन क्यों ?


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  2. हिन्दू धर्म में किसी भी सुबह कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा करना आवश्यक मन गया है क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व् ऋद्धि -सीधी का स्वामी कहा जाता है. इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओ की पूर्ति होती है व् विघ्नों का विनाश होता है. वे अति शीग्र प्रसन्न होने वाले बुद्दि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है. गणेश का अर्थ है – गणों का ईश अर्थात गणों का स्वामी. किसी पूजा आराधना, अनुष्ठान व् कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न – बाधा न पहुंचाए, इसलिए सर्वप्रथम गणेश पूजन कर उनकी कृपा प्राप्त होती है.
    सर्वप्रथम गणेश भगवान् का ही पूजन क्यों ?


    हिन्दू धर्म में किसी भी सुबह कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा करना आवश्यक मन गया है क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व् ऋद्धि -सीधी का स्वामी कहा जाता है. इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओ की पूर्ति होती है व् विघ्नों का विनाश होता है. वे अति शीग्र प्रसन्न होने वाले बुद्दि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है. गणेश का अर्थ है – गणों का ईश अर्थात गणों का स्वामी. किसी पूजा आराधना, अनुष्ठान व् कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न – बाधा न पहुंचाए, इसलिए सर्वप्रथम गणेश पूजन कर उनकी कृपा प्राप्त होती है.
    सर्वप्रथम गणेश भगवान् का ही पूजन क्यों ?


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