कनिष्क के काल का है त्रिपुर सुंदरी मंदिर
बांसवाड़ा जिले में स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर देवी के अत्यंत लोकप्रिय मंदिरों में से एक है और यह एक शक्ति पीठ है। मन्दिर का सबसे बड़ा आकर्षण माता की अट्ठारह भुजाओं वाली काले पत्थर से बनी मूर्ति है। मुख्य प्रतिमा के साथ नवदुर्गा और चौसठ योगिनियों की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। माना जाता है कि यह मंदिर कनिष्क के शासन काल से पहले का है।
यह मन्दिर बांसवाड़ा से करीब 19 किलोमीटर और तलवाड़ा से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मन्दिर एक सिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ है, जहां श्रद्धालु देवी की आराधना के लिए दूर—दूर से आते हैं। उमरई गांव के पास सघन वन के बीच स्थित इस प्राचीन मन्दिर की देवी स्थानीय समुदाय में तुरतईमाता के नाम से लोकप्रिय है।
देवी शेर पर सवार हैं और उनकी 18 भुजाओं में से प्रत्येक में कोई न कोई अस्त्र है। देवी के चरणों के नीचे यन्त्र है और आधार में कमल भी एक तांत्रिक यन्त्र है। देवी की इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में भैरव, देवासुर संग्राम तथा देवी के शस्त्रों का सुन्दर चित्रांकन मिलता है ।
त्रिपुर सुन्दरी वागड़ में अत्यधिक लोकप्रिय है तथा स्थानीय आदिवासियों में देवी बहुत पूजनीय है।
मन्दिर में दर्शन का समय: प्रात: 5 बजे से लेकर रात 8 बजे तक।
Prachin Tripur Sundari Devi Temple, Banswara on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)सार्वजनिक बस, टैक्सी या निजी साधन से पहुंचा जा सकता है।
सड़क: बांसवाड़ा से 19 किलोमीटर, तलवाड़ा से 5 किलोमीटर, जयपुर से 516 किलोमीटर।
रेल: रतलाम, मध्यप्रदेश से 101 किलोमीटर।
एयरपोर्ट: डबोक, उदयपुर से 6 किलोमीटर।

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