यह मन्दिर राजस्थान राज्य के करौली जिले में स्थित है। मन्दिर में दो प्रतिमाये हैं। कैला देवी की प्रतिमा का चेहरा तिरछा है। इस मन्दिर को उत्तर भारत में शक्ति पीठ माना जाता है।
माना जाता है कि मन्दिर का निर्माण 1600 ईस्वी में राजा भोमपाल सिंह द्वारा करवाया गया था। माना जाता है कि भगवान कृष्ण की बहन योगमाया जिसका वध कंस करना चाहता था, वे ही कैला देवी हैं। एक मान्यता यह भी है कि प्राचीन काल में नरकासुर नामक एक राक्षस का क्षेत्र में आंतक था। यहां के निवासियों द्वारा माता दुर्गा की पूजा की गई और माता दुर्गा ने कैला देवी का अवतार लेकर नरकासुर राक्षस का वध कर नरकासुर का आंतक समाप्त किया। इस कारण इन्हें दुर्गा का अवतार भी माना जाता है।
यह मन्दिर पहाड़ी की तलहटी में है तथा थोडी दूरी पर कालीसिल नदी बहती है, जहां भक्तजन दर्शन करने से पूर्व स्नान करते हैं। माना जाता है कि मन्दिर चंबल के पास होने के कारण यहां अराधना करन के लिये कई डाकू भी यहां आते हैं और उनके द्धारा श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुचाया जाता।
मंदिर के निर्माण में करौली के लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, और यह मध्यकालीन स्थापत्य कला का अनुपम उदारहण है। कैला देवी का लक्खी मेला देश भर में विख्यात है। नवरात्रों में इस मन्दिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2016 के वर्ष प्रतिपदा के दिन मन्दिर में लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किये।
यहां आने वाले भक्त माता को प्रसन्न करने के लिये लांगुरिया के भजन गाते हैं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर प्रातः 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक दर्शन के लिये खुला रहता है । दिन में 11 बजे शयन हेतु पट बन्द होते हैं जो मध्यान्ह बाद खुल जाते हैं।
Kaila Devi Temple, Karauli Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क: करौली से 23 किलोमीटर ।
रेलवे स्टेशन: गंगापुर सिटी से 36 किलोमीटर ।
एयरपोर्ट: जयपुर एयरपोर्ट से 167 किलोमीटर।

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