खुशी और उल्लास का मन्दिर
राजस्थान के दौसा जिले में आभानेरी गांव अपनी ऐतिहासिकता के कारण विश्व विख्यात है। यहां स्थित चांद बावड़ी अपनी अनूठी स्थापत्य शैली में निर्माण के लिए जानी जाती है। पास ही स्थित है हर्षत माता का प्राचीन मन्दिर। वैसे तो यह मां दुर्गा को समर्पित है लेकिन, इसे खुशी और उल्लास का मन्दिर भी कहा जाता है। मन्दिर का निर्माण चौहान वंशीय राजा चांद ने आठवीं-नवीं सदी में कराया था। आभानेरी का असली नाम आभा नगरी था। इस नगर के संस्थापक राजा चांद का मानना था कि उनके नगर में खुशी और उल्लास दुर्गा माता की देन है। इसलिए उन्होंने माता दुर्गा को समर्पित यह भव्य मन्दिर बनवाया।
मन्दिर के निर्माण में काम में लिए पत्थरों पर शानदार नक्काशी की गई। पत्थरों की इंटरलाॅकिंग कर इसका निर्माण हुआ है। यहां की भव्यता देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि यहां हर पत्थर बोलता है। यह मन्दिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है लेकिन, इसका मूल स्वरूप वैसा नहीं था जो आज है। इस भव्य मन्दिर को मुगल शासक महमूद गजनवी ने तहस-नहस कर दिया था। इस दौरान मूर्तियों को खंडित कर दिया गया। बाद में स्थानीय लोगों ने पत्थरों को पुनः जोड़कर इसका निर्माण कराया।
यहां से देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मिली है जो विभिन्न संग्रहालयों में प्रदर्शित है। कई भव्य मूर्तियां तस्करों ने खुर्दबुर्द कर दी। हर्षत माता की असली मूर्ति यहां नहीं है। कहां गई ? इसको लेकर अलग-अलग मत है। कुछ लोग इसके चोरी होने की बात कहतेे है तो कुछ आक्रमण के दौरान इसके खंडित होना बताते है। यहां लोगों ने जो मूर्ति स्थापित उसको लेकर लोगों में गहरी आस्था है।
यहां स्थित चांद बावड़ी की भव्यता विश्व विख्यात है। कई फिल्मों की यहां शूटिंग हो चुकी है। इसके अनूठे स्थापत्य को देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां आते है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित घोषित कर रखा है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर दिनभर खुला रहता है।
Hidimba Devi Temple, Manali on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क मार्ग- आभानेरी जयपुर से करीब 97 किमी. और दौसा जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी. दूर एनएच-11 पर स्थित है। दोनों ही जगह से बस सेवा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त कार टैक्सी भी मिल जाती है।
रेलवे स्टेशन - नजदीकी रेलवे स्टेशन बांदीकुई है।
एयरपोर्ट - जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट करीब 95 किमी.

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