सोमनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह पर स्थित इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। माना जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। हालांकि इसका वर्तमान पुनर्निर्माता लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को माना जाता है।
मंदिर में गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप हैं और 150 फीट का शिखर है। शिखर के उूपर 10 टन वजनी कलश है और 27 फीट उूंचा ध्वजदंड है।
लोककथाओं के अनुसार यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। मंदिर के कुछ ही दूरी पर भालका तीर्थ है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तभी एक शिकारी ने उनके पांव में पद्मचिन्ह को हिरण की आँख जानकर धोखे में तीर मारा था। उसी दौरान कृष्ण ने देह त्यागी। इस स्थान पर कृष्ण का आकर्षक मंदिर है।
यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध किया जाता है। यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम है। इस त्रिवेणी स्नान का भी विशेष महत्व है।
मंदिर परिसर में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे के बीच एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का सचित्र चित्रण किया जाता है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक।
सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे आरती होती है।
Somnath Temple, Veraval, Saurashtra on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)सार्वजनिक बस, टैक्सी या निजी साधन से पहुंचा जा सकता है।
सड़क: गांधीनगर से 434 किलोमीटर
राजकोट से 181 किलोमीटर
अमदावाद से 407 किलोमीटर
जुनागढ से 79 किलोमीटर
केशोद 41 किलोमीटर
वेरावल से किलोमीटर.
रेल: वेरावल रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर.
एयरपोर्ट: दीव एयरपोर्ट से 80 किलोमीटर.

0 comments :
Post a Comment