स्टाम्प पेपर पर अर्जी, मन्नत पूरी होने पर बांधते है घंटी
उत्तराखंड के अलमोड़ा से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित गोलूजी महाराज का मन्दिर अनूठा है। मान्यता है कि यहां भक्त सादे कागज पर अथवा स्टाम्प पेपर पर अपनी मन्नत लिखकर टांगते है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो वे यहां घंटी बांधते है। हां, एक बात और घंटी इस प्रकार बांधी जाती है कि कोई उसे बजा नहीं सके।
गोलू देवता अथवा भगवान ग्वेल ज्यू कूर्माचल यानि कुमाउं के लोकदेवता है लेकिन, उनकी पूजा पूरे उत्तराखंड में होती है। उनके चंपावत और घोड़ाखाल में भी मन्दिर है लेकिन, अलमोडा स्थित मंदिर की सबसे ज्यादा मान्यता है। जैसे ही मन्दिर में प्रवेश करते है जहां-तहां सभी जगह घंटियां बंधी नजर आती है। कई जगह आपको 10 रूपए से लेकर 100 रूपए की कीमत वाले नाॅन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर लटके नजर आएंगे।
यह माना जाता है कि किसी के साथ अन्याय हुआ है और उसकी कही पर भी सुनवाई नहीं हो रही है, यदि वे यहां स्टाम्प पेपर अपनी बात लिखकर टांग दे तो गोलू देवता उसकी फरियाद सुन लेते है। कई भक्तजन सादे कागज पर अपनी बात लिखकर टांग जाते है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो घंटी बांधकर गोलू देवता का धन्यवाद ज्ञापित करते है। यहां गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है।
गोलू देवता की कहानी
कहा जाता है कि चंपावत के कत्युरी वंश के राजा झालुराई के सात रानियां थीं, लेकिन पुत्र एक भी नहीं। अक्सर वे अपने उत्तराधिकारी को लेकर परेशान रहते थे। ज्योतिषियों के कहने पर उन्होंने भगवान भैरव की आराधना की। उनकी आराधना पर भैरव प्रकट हुए और कहा कि हे राजा, तुम्हारे नसीब में संतान का सुख नहीं है। यदि तुम आठवीं शादी करों तो तुम्हारे पुत्र हो सकता है। बाद में राजा ने पंचदेव देवताओं की बहन कलिंगा से शादी कर ली। लेकिन, इस शादी से सातों रानिया खुश नहीं थी। उन्होंने कलिंगा को डराया कि तुम्हारा अपने बच्चे को पैदा होते ही देखना शुभ नहीं है और उन्होंने प्रसव के दौरान कलिंगा की आंखों पर पट्टी बांध दी। कलिंगा के पुत्र हुआ लेकिन, रानियों ने कलिंगा को कहा कि तुम्हारे तो पत्थर जन्मा है। उन्होंने इस बच्चे को मारने के लिए भी तरह-तरह के जतन किए।
अंत में इस बच्चे को लोहे के संदूक में बंद करके काली नदी में बहा दिया। यह बच्चा बाद में गौरी तट के एक मछुआरे भाना को मिल गया। भाना ने इसे पालपोस कर बड़ा किया। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा हुआ उसमे अद्भुत शक्तियां विकसित होने लगीं। एक दिन इस बच्चे को सपने में असली मां कलिंगा दिखी जो बहुत दुखी थी। बच्चा अपनी चमत्कारिक शक्ति से खिलौने वाले घोड़े में प्राण डालकर राजा झालुराई के पास पहुंच गया और अपने जन्म की घटनाओं का वर्णन किया। राजा ने सातों रानियों को बंदीगृह में डाल दिया। यही बालक बड़ा होकर ग्वेल, गोलजू, बाला गोरिया गौर भैरव गोलू इत्यादि नामों से प्रसिद्ध हुआ।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर दिनभर खुला रहता है
Golu Devata, Almora, Uttarakhand on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
नजदीकी एयरपोर्टः पंतनगर अलमोड़ा से करीब 127 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशनः काठगोदाम अलमोड़ा से करीब 90 किमी.
यह स्थान सड़क मार्ग से जुड़ा है और प्राइवेट टैक्सी एवं बस सेवा उपलब्ध है।

Golu ji Maharaj ek achi c biwi dilado
ReplyDeleteJai ho golu ji maharaj,ek acchi se government job dila do.pleas
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