जमुवाय माता मन्दिर, जमुवा रामगढ़, जयपुर (Famous Jamuwa Ramgarh Temple in Jamuwa Ramgarh, Jaipur)

लोक आस्था का केन्द्र जमुवाय माता का मन्दिर
जयपुर की कई साल तक प्यास बुझाने वाले रामगढ़ बांध से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित है लोक आस्था का केन्द्र जमुवाय माता का मन्दिर। जमुवाय माता कच्छवाह वंश (जयपुर राजघराना) समेत कई समुदाय की कुलदेवी है। नवरात्र समेत विभिन्न मौकों पर लोग यहां जात-जडूले और सवामणी के लिए आते हैं। माता के मन्दिर में प्रसाद के साथ श्रद्धा के मुताबिक माता की पोशाक, सोलह श्रृंगार की सामग्री भेंट करने परम्परा है।

आसपास पहाडि़यां है और बारिश के दौरान यहां आसपास कई झरने बहने लगते है। वातावरण सुरभ्य हो जाता है। तब यहां गोठ और पिकनिक करने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है। यह रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का भी हिस्सा है। माता के मन्दिर के सामने से गुजरने वाला हर भक्त मां को शीश झुकाना नहीं भूलता।

इस मन्दिर की स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि यह क्षेत्र पहले मांच के नाम जाना जाता था। एक बार राजा दूल्हाराय ने मांच पर हमला कर मीणों से युद्ध किया। लेकिन, वे हार गए और रणभूमि में मूर्छित हो कर गिर पड़े। रात में बुढवाय देवी रणभूमि में आई और दूल्हाराय के सिर पर हाथ फेरा तो उनकी मूर्छा टूट गई। माता ने खुद को जमवाय नाम से पूजने और मन्दिर बनवाने का वचन मांगा। दूल्हाराय ने माता से विजयी होने का आशीर्वाद मांगते हुए उनके आदेश को पूरा करने का भरोसा दिलाया। माता ने प्रसन्न होकर दूल्हाराय की सेना को जीवित कर दिया। दूल्हाराय रात को ही दौसा पहुंच गए और अगले दिन मांच पर फिर हमला किया। जीत दूल्हाराय की हुई। जहां दूल्हाराय को देवी ने दर्शन दिए थे उस स्थान पर जमुवाय माता का मंदिर बनवाया।

एक घटना यह भी है कि राजा कांकील भी मीणों के साथ युद्ध करते हुए सेना के साथ मूर्छित होकर रणक्षेत्र में गिर थे तब भी जमुवाय माता सफेद धेनु (गाय) के रूप में प्रकट हुई और दूध की वर्षा कर पूरी सेना को जीवित कर दिया। माता ने शत्रु पर विजय प्राप्त कर आमेर बसाने की आदेश दिया।

जमुवाय माता के मन्दिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा के दाहिनी तरफ धेनु एवं बछड़े व बायीं ओर बुढ़वाय माता की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में शिवालय एवं भैंरव का स्थान भी है। राजा ने अपने आराध्य देव रामचंद्र एवं कुलदेवी जमुवाय के नाम पर मांच का नाम जमुवाय रामगढ़ रखा गया। जो बाद मे जमुवा रामगढ़ के रूप में जाना जाने लगा। कहा जाता है कि जो सच्चे मन से माता की आराधना करते है जमुवाय माता उनकी मनोकामना पूरी करती है।
मन्दिर में दर्शन का समय:
सुबह छह से दोपहर 12 बजे
दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक

Jamway Mata Temple on Google Map



कैसे पहुंचें (How To Reach)
जयपुर से दूरी 30 किमी.
रामगढ़ बांध से दूरी एक किमी
जमवा रामगढ गांव बस स्टैंड से दूरी तीन किमी
यहां तक पहुंचने के जयपुर से तथा जमुवा रामगढ गांव से बस मिल जाती है
निजी साधन एवं टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है।
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