दक्षिण मुखी अड़िन्दा पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र, उदयपुर (Shri Adinda Parshwanath Digamber Jain Atishaya Kshetra, Udaipur)

यह दिगम्बर जैन मन्दिर उदयपुर, राजस्थान से 42 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है, जो उदयपुर—चित्तौड़गढ़ राजमार्ग से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। यह क्षेत्र एकांत, निर्जन जंगल के मध्य है और तालाब किनारे स्थित है। इससे न केवल यह रमणीय वातावरण की अनुभूति कराता है, बल्कि साधना के लिए भी उपयुक्त है।

यहां मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की दो हजार वर्ष पुरानी प्रतिमा है। भारत में यह सिर्फ एकमात्र पार्श्वनाथ मंदिर है, जो दक्षिणमुखी है। इसका कारण यह है कि भूगर्भ से यह प्रतिमा दक्षिणमुखी स्थिति में निकली। इसे पूर्वाभिमुखी करने के अनेक प्रयास किए गए, लेकिन सफल नहीं रहे। यहां गणधराचार्य कुन्थुसागर जी द्वारा संकलित प्रभावी यंत्रों की झांकी भी जड़ित है। मंदिर परिसर में तीन चौबीसी भव्य कैलाश पर्वत का निर्माण कराया गया है। सुमेरू पर्वत की रचना पर तीर्थंकर महावीर स्वामी की नौ फीट की पद्मासन में प्रतिष्ठित प्रतिमा विराजित है। इसके अलावा पद्मसरोवर में 15 फीट लंबे कमल सरोवर में श्री पार्श्वनाथ की 21 फीट की खड़गासन प्रतिमा स्थापित है।

क्षेत्र पर आवास व भोजनालय की उचित व्यवस्था है। प्रकृति प्रेमीयों के लिये यह स्थान बहुत ही सुन्दर है।
मन्दिर में दर्शन का समय: सुबह 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक

श्रीजी के प्रश्राल सुबह 7 से 9 बजे तक.

आरती सायं 6:45 बजे

ऋतु के अनुसार समय में परिवर्तन हो सकता है।

Shri Adinda Parshwanath Digamber Jain Atishaya Kshetra Temple on Google Map

कैसे पहुंचें (How To Reach)

सड़क:उदयपुर से 39 किलोमीटर।
रेलवे स्टेशन: उदयपुर से 42 किलोमीटर।
एयरपोर्ट: उदयपुर से 19 किलोमीटर
टैक्सी या निजी साधन से पहुंचा जा सकता है। स्वयं के वाहन से यात्रा श्रेष्ठ है।
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1 comments :

  1. भीष्म पितामह शांतुन एवम गंगा के पुत्र थे, ये महाभारत के प्रमुख पात्रो में से एक पात्र थे. भगवान परशुराम के शिष्य भीष्म अपने समय के अत्यधिक बुद्धिमान एवम शक्तिशाली विद्वान थे. महाभारत ग्रन्थ के अनुसार भीष्म पितामह वे योद्धा थे जो

    हर प्रकार के अश्त्र एवम शास्त्रो का काट जानते थे तथा उन्हें युद्ध में हरा पाना नामुमकिन था.

    भीष्म पितामह का वास्तविक नाम देवव्रत था तथा उनकी भीषण प्रतिज्ञा के कारण उनका नाम भीष्म पड़ा था. कहा जाता है की भीष्म पितामाह को इच्छा मृत्यु का वरदान था तथा इसके साथ ही वे भविष्य में होने वाली घटाओ को जान लेते थे.

    भीष्म पितामाह ने शरीर त्यागने से पूर्व अर्जुन को अपने पास बुलाकर अनेक ज्ञान के बाते बतलाई थी तथा इसके साथ ही उन्होंने अर्जुन को अन्य ज्ञान देते हुए 10 ऐसी भविष्यवाणियों के बारे में भी बतलाया था जो आज वर्तमान में वास्तव में घटित हो

    रहा है.

    भीष्म ने पहले ही कर दी थी इन 10 बातो की भविष्यवाणी, आज हो रहे है सच !

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