यह एक ऐसा खास मंदिर है, जहां कोई मूर्ति नहीं रखी गई है। इसका नाम देवी अलोपशंकरी के नाम पर रखा गया है। मंदिर प्रांगण के बीच के स्थान में एक चबूतरा है जहां एक कुंड बना हुआ है। इसके ऊपर एक खास झूला या पालना है, जिसे लाल कपड़े से ढंक कर रखा जाता है। किंवदन्ती के अनुसार मां सती की कलाई इसी स्थान पर गिरी थी। यह प्रसिद्ध शक्ति पीठ है और इस कुंड के जल को चमत्कारिक शक्तियों वाला माना जाता है।
आस्था के इस अनूठे मन्दिर में भक्त प्रतिमा की नहीं, बल्कि झूले या पालने की ही पूजा करते हैं। अलोपी नामकरण के पीछे भी एक मान्यता है। माना जाता है कि यहां शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य या अलोप हो गया था, इसी वजह से इस शक्ति पीठ को अलोप शंकरी नाम दिया गया।
मान्यता है की यहां कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर मन्नत मांगने वाले भक्तों की हर कामना पूरी होती है और हाथ मे धागा बंधे रहने तक अलोपी देवी उनकी रक्षा करती हैं। प्रयाग (इलाहाबाद) में तीन मंदिरों को मतांतर से शाक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं। पहला मंदिर अक्षयवट है, जो किले के अन्दर स्थित है। दूसरा मंदिर ललिता देवी का मीरापुर के निकट स्थित है और तीसरा मंदिर अलोपी माता का है।
मन्दिर में दर्शन का समय: सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक
Alopi Devi Shakti Peeth on Google Map
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सड़क: बस स्टैंड मंदिर, इलाहाबाद से 3.5 किलोमीटर.
रेलवे स्टेशन: प्रयाग रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर.
एयरपोर्ट: इलाहाबाद एयरपोर्ट से 16 किलोमीटर.
टैक्सी या निजी साधन से पहुंचा जा सकता है। इलाहाबाद के विभिन्न इलाकों, बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है।

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Jay Mata di
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