गढ़ गणेश मन्दिर (Famous Garh Ganesha Temple in Jaipur)

नाहरगढ़ की पहाड़ी पर गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह प्रथम ने अश्वमेघ यज्ञ के आयोजन के साथ करवाया था।



गढ़ गणेश मन्दिर (Famous Garh Ganesha Temple in Jaipur)
जयपुर के प्राचीन मंदिरों में गढ़ गणेश मंदिर प्रमुख है। नाहरगढ़ की पहाड़ी पर इस मंदिर का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह प्रथम ने अश्वमेघ यज्ञ के आयोजन के साथ करवाया था। मंदिर की विशेषता यहां की गणेश मूर्ति है। यहां पर गणेशजी का बाल रूप पुरुषाकृति (बिना सूण्ड के) की मूर्ति है। इस मंदिर का निर्माण इस तरह से कराया गया है था कि चन्द्र महल से भी जयपुर राजपरिवार के सदस्य दर्शन कर सकें।

इस मंदिर के संबंध में मान्यता है कि यदि कोई भक्त नियमित रुप से 21 बुधवार दर्शन करता है तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। यहां ामंत्रोच्चार के साथ भगवान गणेश को प्रसाद चढ़ाया जाता है। यहां दो बड़े मूषक भी हैं, जिनके कान में दर्शनार्थी अपनी मन्नत कहते हैं। मंदिर में यूं तो रोजाना ही दर्शनार्थी पहुंचते हैं, लेकिन बुधवार को यहां अच्छी-खासी रौनक रहती है। भाद्र पक्ष में गणेश चतुर्थी को यहां मेला लगता है और हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।

यह मंदिर ब्रह्मपुरी क्षेत्र गैटोर के पास है। गैटोर तक निजी वाहन या फिर टैक्सी कार से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का सुरक्षित रास्ता है। इसे पार करने में आधा से एक घंटा लगता है। उपर पहुंचने के बाद ताजी हवा से सारी थकान दूर हो जाती है। यहां से जयपुर का विहंगम दृश्य नजर आता है।

मन्दिर में दर्शन का समय: प्रातः 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक,
सायंः 4 बजे से रात 9 बजे तक
(विशेष उत्सवों पर समय में परिवर्तन होता है ।)

Garh Ganesh Temple on Google Map

कैसे पहुंचें (How To Reach Garh Ganesh Temple)

सड़क: सिंधी कैम्प बस स्टेण्ड जयपुर से 6 किलोमीटर.
रेलवे स्टेशन: जयपुर जंक्शन से 7 किलोमीटर.
एयरपोर्ट: सांगानेर एयरपोर्ट, जयपुर से 15 किलोमीटर.
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2 comments :

  1. भीष्म पितामह शांतुन एवम गंगा के पुत्र थे, ये महाभारत के प्रमुख पात्रो में से एक पात्र थे. भगवान परशुराम के शिष्य भीष्म अपने समय के अत्यधिक बुद्धिमान एवम शक्तिशाली विद्वान थे. महाभारत ग्रन्थ के अनुसार भीष्म पितामह वे योद्धा थे जो

    हर प्रकार के अश्त्र एवम शास्त्रो का काट जानते थे तथा उन्हें युद्ध में हरा पाना नामुमकिन था.

    भीष्म पितामह का वास्तविक नाम देवव्रत था तथा उनकी भीषण प्रतिज्ञा के कारण उनका नाम भीष्म पड़ा था. कहा जाता है की भीष्म पितामाह को इच्छा मृत्यु का वरदान था तथा इसके साथ ही वे भविष्य में होने वाली घटाओ को जान लेते थे.

    भीष्म पितामाह ने शरीर त्यागने से पूर्व अर्जुन को अपने पास बुलाकर अनेक ज्ञान के बाते बतलाई थी तथा इसके साथ ही उन्होंने अर्जुन को अन्य ज्ञान देते हुए 10 ऐसी भविष्यवाणियों के बारे में भी बतलाया था जो आज वर्तमान में वास्तव में घटित हो

    रहा है.

    आइये जानते है आखिर कौन सी वे 10 बाते थी जो भीष्म पितामह ने अर्जुन को बतलाई थी.

    भीष्म ने पहले ही कर दी थी इन 10 बातो की भविष्यवाणी, आज हो रहे है सच !

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